MP:रासायनिक आपदा से बचाव हेतु उपायों के लिये दिशा-निर्देश जारी

 

खतरनाक एवं अति खतरनाक श्रेणी में पंजीकृत कारखानों में दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश

इंदौर। हाल ही में 7 मई को विशाखापट्टनम स्थित एल.जी.केमिकल्स लिमिटेड कारखाने में स्टायरीन गैस के लीकेज के कारण बड़ी औद्योगिक दुर्घटना घटित हुई है। जिसके परिणामस्वरूप कारखाने के आसपास लगभग 5 किलोमीटर का क्षेत्र प्रभावित हुआ है एवं अनेक व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी तथा गंभीर रूप से प्रभावित हुये हैं। प्रदेश के श्रमायुक्त श्री आशुतोष अवस्थी ने बताया कि इसके मद्देनजर मध्यप्रदेश के औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संचालनालय इंदौर द्वारा खतरनाक एवं अति खतरनाक श्रेणी में पंजीकृत कारखानों में रासायनिक आपदा से बचाव हेतु उपायों के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। निर्देश दिये गये हैं कि खतरनाक एवं अति खतरनाक श्रेणी में पंजीकृत कारखानों में जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाये।
मध्यप्रदेश के औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संचालनालय इंदौर द्वारा इस संबंध में जारी परिपत्र में निर्देश दिये गये हैं कि कारखानों में भण्डारण उपयोग, हैंडलिंग किये जा रहे खतरनाक पदार्थों के संबंध में जारी निर्देशों का तत्परता से पालन किया जाये एवं सुरक्षा प्रावधान भी सुनिश्चित किये जाये। साथ ही निर्देश दिये गये हैं कि कारखाने में उपयोग व हैंडल किये जा रहे उत्पाद एवं इंटरमीडिएट उत्पादों के खतरनाक गुण धर्मों, उनसे बचाव के उपायों आदि के संबंध में समस्त श्रमिकों, स्थानीय प्रशासन एवं आसपास के लोगों को जानकारी दी जाये। प्रत्येक टैंक, पाइप लाइन, रिएक्शन वेसल्स, हापर, स्क्रबर की कंसट्रकशनल स्टेबिलिटी स्ट्रेंग्थ सुनिश्चित की जाती रहे ताकि उसमें किसी भी प्रकार के फेल्युअर की संभावना नहीं रहे। समस्त प्रत्येक टैंक, पाइप लाइन, रिएकशन वेसल्स, हापर,स्क्रबर, स्ट्रक्चर चिमनी आदि प्रभावी रूप से अर्थ्ड हो। खतरनाक केमिकल्स पाइप लाइन में स्टेटिक चार्ज संबंध में करेंट कन्ट्युनिटी डिवाइसेस लगाये जाये। स्टोरेज टैंक्स, वेसल्स आदि पर स्थापित फिटिंग्स जैसी सेफ्टी वाल्व, टेंपरेचार, गेज प्रेशर, गेज, ब्लीड वाल्व, ड्रेन ऑफ वाल्व, रोटामीटर, लिमिट स्विचेज आदि का पीरियाडिक मेंटनेंस किया जाता रहे। श्रमिकों के कार्यस्थल पर वे जिस प्रकार के खतरनाक पदार्थों, प्रक्रिया आदि के संबंध में आते हैं, से बचाव के संबंध में नियमित प्रशिक्षण दिया जाता रहे। प्रत्येक प्रक्रिया इक्विपमेंट प्रोसेस का एसओपी तैयार किया जाकर उसके अनुसार सुरक्षित प्रकार से कार्य कराया जाये। श्रमिकों को बीआईएस प्रकार के व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण प्रदान किए जाकर उनका उपयोग भी सुनिश्चित किया जाये।
साथ ही निर्देश दिये गये हैं कि कारखाने के आन साइट प्लान एवं डिजास्टर कंट्रोल मेजर्स के अनुसार श्रमिकों, स्थानीय प्रशासन एवं आसपास के रहवासियों को कारखाने में उपयोग व हैंडल किए जा रहे हैं हजार्डस रसायनों के खतरनाक गुण‑धर्मों एवं उनसे बचाव के उपायों आदि के संबंध में जानकारी दी जाये ताकि वे आपात स्थिति में डूज एवं डोंट्स का पालन कर सुरक्षित रह सकें। कारखाने की स्थिति के अनुसार मेट्रोलॉजिकल जानकारी जैसे तापमान, हवा की गति आदि के आधार पर प्रत्येक केमिकल का डिसप्रेशन मॉडल तैयार कराया जाए ताकि यह आकलन किया जा सके कि खतरनाक पदार्थ कारखाना परिसर के बाहर कितनी दूर तक जाएगा एवं उसके प्रभाव क्षेत्र में श्रमिकों के अतिरिक्त कितने आमजन आने की संभावना है, तदनुसार उन्हें रक्षात्मक उपायों की जानकारी दी जाए। कारखाने में उपयोग में लाए जा रहा है एयर एवं केमिकल प्रेशर वेसल्स पाइप लाइन, कंम्प्रेस्ड गैसेस एवं फ्लेमेबल लिक्विड एवं एक्सप्लोसिव मिक्सर बनाने वाले पदार्थों के संबंध में कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 31 एवं 36 एवं नियम 107 के तहत निर्मित शेड्युल्स के प्रावधानों का पालन किया जाए।
निर्देश दिये गये हैं कि इन सभी के अतिरिक्त औद्योगिक दुर्घटना से बचाव हेतु कारखाना अधिनियम 1948 एवं मध्यप्रदेश कारखाना नियम 1962, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम एवं अंतर्गत बनाए गए नियमों, विद्युत सुरक्षा नियम, विस्फोटक अधिनियम और अंतर्गत निर्मित गैस सिलेंडर नियम तथा बायलर अधिनियम आदि प्रावधानों का भी पालन किया जाये।
स्टायरीन एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन है, जो टैंक्स में एमिब्एंट तापमान से कम तापमान पर स्टोर किया जाता है। टैंक का तापमान में वृद्धि होने पर स्टायरीन वेपर का निर्माण होना प्रारंभ होकर पालीमराइजेशन प्रारंभ हो जाता है। स्टायरीन एक टाक्सिक पदार्थ है। प्रारंभिक तौर पर विशाखापट्नम दुर्घटना का कारण स्टायरीन का सुरक्षित भंडारण, हैंडलिंग स्टोरेज टैंक के वाल्व व अन्य फिटिंग्स का पीरियाडिक मेंटनेंस नहीं होना प्रतीत होता है। दुर्घटना के कारण जिस प्रकार से कारखाना परिसर के बाहर के आमजन प्रभावित हुए उससे प्रतीत होता है कि कारखाने में उपयोग व हैंडल किये जा रहे हजार्डस रसायनों के खतरनाक गुण धर्मों, उनसे बचाव के उपायों आदि के संबंध में कारखाना प्रबंधन आनसाइट इमरजेंसी प्लान और विस्तृत डिजास्टर कंट्रोल मेजर्स के संबंध में कारखाने के आसपास के लोगों को जानकारी नहीं दी गयी अन्यथा स्टायरीन लीकेज के उपरांत आमजन सुरक्षा उपाय अपना लेते एवं प्रभावित नहीं होते।

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