23 मार्च को भाजपा विधायक दल की बैठक, इसी बैठक में मुख्यमंत्री का नाम तय किया जाएगा
भोपाल : कमलनाथ के इस्तीफे के बाद मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनना तय हो गया है। भाजपा की ओर से शपथ ग्रहण के लिए 25 मार्च की तारीख तय की गई है। इससे पहले 23 को विधायक दल की बैठक होनी है और इसी में मुख्यमंत्री का नाम फाइनल होगा। अब तक शिवराज सिंह चौहान का नाम ही सीएम पद के लिए चर्चा में था। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि अब नरेंद्र सिंह तोमर का नाम इस पद के लिए सबसे आगे है। हालांकि, मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला विधायक दल की बैठक में किया जाएगा।
इसके बावजूद अभी तक बीजेपी ने न तो सरकार बनाने का राज्यपाल के पास प्रस्ताव पेश किया है और न ही अभी तक विधायक दल की बैठक कर किसी को नेता चुना है.
अमित शाह ने तोमर को अलग बुलाकर बात की
पार्टी सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शिवराज, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सबसे आगे हैं। फिर नरोत्तम मिश्रा के नाम की चर्चा है। हालांकि, अब तोमर का ही नाम सबसे आगे चल रहा है, क्योंकि दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह ने तोमर से अलग से बात की है। धर्मेंद्र प्रधान से भी दोनों की बात हुई। माना जा रहा है कि शिवराज-तोमर में से ही एक नाम को पार्टी आलाकमान प्राथमिकता दे सकती है। नरोत्तम को सरकार में पावरफुल दर्जा मिलेगा।
जफर इस्लाम, नरोत्तम मिश्रा और नरेंद्र सिंह तोमर ही वह किरदार हैं जिन्होंने परदे के पीछे से सरकार बनाने की तैयारी की।
वहीं, देश भर में तेजी से पांव पसार रहे कोरोना वायरस ने मध्य प्रदेश में भी कदम रख दिया है. प्रदेश में अभी शुरुआती दौर में ही कोरोना संक्रमित चार मरीज पाए गए हैं. बीजेपी क्या अब तक फजीहत के डर से विधायक दल की बैठक नहीं कर पाई है?
कमलनाथ सरकार के खिलाफ सारे मोर्चों पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नेतृत्व कर रहे थे, लेकिन अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर बीजेपी नेतृत्व ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं. बीजेपी नेताओं ने साफ कहा कि मध्य प्रदेश में सरकार की कमान का फैसला पार्टी हाईकमान ही करेगा.
ऐसे में बीजेपी विधायक दल का नेता चुनने में हो रही देरी को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है. चर्चा यह भी है कि भारतीय जनता पार्टी, मध्य प्रदेश में शिवराज की जगह किसी और चेहरे की तलाश में तो नहीं है. नेता के नाम पर सहमति के लिए दिल्ली में मंथन जारी है. जाहिर है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी अलग हटकर निर्णय लेने के लिए प्रसिद्ध है, ऐसे में सीएम पद के दावेदारों के बीच बेचैनी बढ़ गई है.
मध्य प्रदेश में 13 साल तक सत्ता की बागडोर संभालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चौथी बार भी मुख्यमंत्री बनने के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान को अब तक सभी मोर्चों में आगे रखा था, लेकिन कमलनाथ के सत्ता से हटते ही बीजेपी में कई और भी नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो गए हैं. इसमें पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेता शामिल हैं.
मध्य प्रदेश में सभी की निगाहें बीजेपी विधायक दल के नेता के चुनाव पर टिकी हैं. मौजूदा समय में शिवराज समर्थक विधायकों की संख्या अधिक है, लेकिन उनकी राह में रोड़ा अटकाने वाले कई नेता भी पार्टी में हैं. कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा से शिवराज के छत्तीस के आंकड़े जगजाहिर हैं.
हालांकि, सूबे के जो राजनीतिक हालात हैं और विधानसभा में बहुमत के लिए एक-एक विधायक जब कांग्रेस और बीजेपी के लिए बेहद अहम बने हुए हैं तो ऐसे में नेता के चुनाव में विलंब से दावेदारों के साथ-साथ रणनीतिकारों की पेशानी पर भी बल पड़ रहे हैं.
मध्य प्रदेश विधानसभा में दो सीटें पहले से खाली थीं. अब 22 कांग्रेस विधायकों और एक बीजेपी विधायक के इस्तीफ़े के बाद यह संख्या बढ़कर 25 हो चुकी है. साफ है कि आने वाली बीजेपी सरकार के सामने 25 सीटों पर उपचुनाव लड़ने की चुनौती होगी. कांग्रेस पूरा जोर लगाएगी कि उपचुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर वह स्पष्ट बहुमत हासिल करे और दोबारा से बड़े दल के रूप में उभरे.
कमलनाथ को सत्ता से बेदखल करने की सियासी गणित बैठाने का काम केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का भी रहा है और उन्हीं के घर पर लगातार बैठकें हुईं. संभव है कि मोदी सरकार में लंबे समय से केंद्रीय मंत्री की बागडोर संभाल रहे नरेंद्र सिंह तोमर को भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया जाए. हालांकि, तोमर ने कह दिया है कि वो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं है.
तोमर पहले भी प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं और दो बार बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष की कमान भी संभाल चुके हैं. कांग्रेस से बगावत करने वाले विधायकों में ज्यादातर ग्वालियर-चंबल के हैं, नरेंद्र सिंह तोमर इसी इलाके से आते हैं. मोदी-शाह के तोमर करीबी भी माने जाते हैं, ऐसे में तोमर के नाम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.