_मेला क्षेत्र के बाहर सब बंदोबस्त ध्वस्त, करोडों लोग फंसे, बाहर जाने के सब रास्ते जाम_
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*अपने हौसले व गंगा मैया भरोसे करोड़ों लोग*
_*भारी भीड़, बाहर निकलने के सब रास्तों पर लंबा जाम*_
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_प्रयागराज से बाहर निकलने वाले सभी रास्तों पर भारी जाम, रातभर से वाहनों में फंसे हैं लोग_
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*_बस कार लोडिंग वाहनों की मिलों लंबी कतारें, शहर से बाहर निकलना मुश्किल हुआ_*
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_नही थम रहा जनसैलाब का कुंभनगरी में आना, भीड़ बाहर करने की व्यवस्था फेल_
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*_मेला क्षेत्र के बाद अब प्रयागराज में पांव रखने की जगह नही, सब रास्ते, गलियां ठसाठस_*
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_मोनी अमावस्या की भीड़ बिदा नही हुई, बसंत पंचमी के स्नान का सैलाब आना शुरू_
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*_भयावह हादसा और अनगिनित लोगो के कालकवलित होने के बावजूद महाकुंभ का उत्साह रत्तीभर भी कम नही हुआ हैं। तीर्थराज प्रयाग में दिनभर मोनी अमावस्या का स्नान चलता रहा। सभी घाटों पर भारी भीड़ उमड़ी। अखाड़ो ने भी दोपहर बाद सादगीपूर्ण अमृत स्नान की परंपरा को निभाया। भीड़ है कि कम होने का नाम ही नही ले रही। करोडों फ़िर प्रयागराज चले आ रहें हैं। मोनी अमावस्या की भीड़ ही अब तक प्रयाग से बाहर नही हो पाई हैं। बाहर जाने के सब रास्ते जाम से अटे पड़े हैं। ये जाम प्रयागराज से बाहर जाने वाली सब सड़को पर एक जैसा हैं। रातभर से लोग अपने अपने वाहन में फंसे है और शहर से बाहर होने का इंतजार कर रहें हैं। शहर से बाहर जाने के रास्तों पर 12 घण्टे से ज्यादा का जाम लगा हुआ हैं। पुलिस प्रशासन के हाथ पैर फूल गए और वह भी जाम के आगे हथियार डाल चुकी हैं। करोड़ो आस्थावान सनातनी मैया गंगा के भरोसे और अपने हौसले के दम पर संघर्ष कर रहें हैं। खबर लिखे जाने तक भी बुधवार शाम 5 बजे से लगा जाम सुबह 11 बजे तक यथावत था।_
हादसे के बाद हालात मेला क्षेत्र में तो काबू में आ गए लेक़िन शेष प्रयागराज में वह बेकाबू हो गए हैं। मोनी अमावस्या की भारी भीड़ के शहर से बाहर जाने के तमामं बंदोबस्त फेल हो गए हैं। प्रयागराज से बाहर जाने वाले तमामं रास्तों पर मीलों लंबा जाम लगा हैं। लाखों लोग रातभर से वाहनों में फंसे हैं। ये हालात अयोध्या, बनारस, लखनऊ, जौनपुर, कानपुर, मिर्जापुर, रीवा, चित्रकूट तरफ़ जाने वाली सब सड़कों पर हैं। इन सब रास्तों पर रातभर से लंबा व भारी जाम लगा हुआ है। जाम में लाखों लोग बस, कार व अन्य वाहनों में फंसे हुए हैं। हालत इस क़दर खराब है कि जो लोग मेला क्षेत्र छोड़कर अपने गंतव्य की तरफ़ जाना चाह रहे हैं, उन्हें बाहर निकलने का कोई रास्ता खुला नही हैं।
उधर मेला क्षेत्र व शहर में से अभी मोनी अमावस्या के स्नान को आई भीड़ ही बिदा नही हुई है और अगले स्नान के लिए जनसैलाब का आना शुरू हो गया हैं। लाखों लोग प्रयागराज तरफ बढ़ रहे है और 20 से 30 किमी तक पैदल चल रहे हैं। मेला क्षेत्र में तो हालात भले ही कंट्रोल में नज़र आ रहे है लेकिन यहां खाने पीने की सब वस्तुएं खत्म हो गई है। भारी भीड़ के चलते वस्तुओं की सप्लाय मेला क्षेत्र में नही हो पा रही है। दूध खत्म हो गया है और चाय बिस्किट तक ख़त्म हो गए। चाय पत्ती शक्कर तक का संकट हो गया है। साधु संतों के डेरो पर भी अब भोजन सामग्री खत्म होने को आई। कई अखाड़ो में नियमित बिछने वाली पंगते रोक दी गई हैं।
बंदोबस्त में लगा तंत्र भी थककर चूर हो गया है। भीड़ के आगे सुरक्षा तंत्र की बेबसी साफ झलक रही है। वाहनों के रेले रातभर से फँसे है औऱ पुलिस जाम खुलवाने में पूरी तरह नाकाम हो गई है। जाम में फंसे लोगों के लिए ग्रामीण मददगार बने हुए हैं। सैकड़ो की संख्या में यात्री बसों की कतार जाम का हिस्सा बनी हुई है। भीड़ शहर से बाहर जा नही पा रही है औऱ उलटे भीड़ बढ़ती जा रही हैं। हालत इस कदर खराब हो गए है जाम वाले रास्तों की खाने पीने की दुकानों पर सामग्री ख़त्म हो गई हैं।
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*दिन ढलने तक होता रहा अखाड़ो का अमृत स्नान*
*मोनी अमावस्या की अलसुबह हुई भगदड़ व 30 मौतों का असर कुंभ की परंपरा पर नजर नही आया। घटना से आहत अखाड़ो ने पहले दूसरे अमृत स्नान के रद्द होने की घोषणा की लेक़िन सरकार के मुखिया यॉगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद तय हुआ कि अमृत स्नान की परंपरा टूटेगी नही। अखाड़े 11 बजे बाद स्नान करेंगे। हुआ भी वही। अखाड़ो में फिर से तैयारी शुरू हुई। इस बार लावलश्कर अखाड़े में ही रोक लिया गया और सिर्फ साधु संत समाज ने ही सादगी के साथ स्नान किया। सुबह 11 बजे से शुरू हुआ अखाड़ों के स्नान का सिलसिला दिन ढलने तक चलता रहा। अखाड़े अपने निशान के साथ उसी वैभव से डेरे से बाहर आये, जैसी बरसो की परंपरा है। सभी 13 अखाड़ों ने स्नान किया और सरकार से अगले स्नान के पूर्व भीड़ प्रबंधन व्यवस्था के सुधार पर जोर दिया।*