व्यापमं घोटाला मामले में विशेष न्यायालय इंदौर ने पांच आरोपितों को पांच-पांच वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने आरोपितों पर अर्थदंड भी लगाया है। आरोपितों में से एक ने वर्ष 2013 में हुई पीएमटी का फार्म भरा था, लेकिन उसने परीक्षा नहीं दी। उसके स्थान पर दूसरा व्यक्ति परीक्षा में शामिल हुआ और परीक्षा पास भी कर ली।

मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब फार्म भरने वाला आरोपित प्रवेश लेने के लिए इंदौर के एमजीएम मेडिकल कालेज पहुंचा। वहां फोटो मिलान के दौरान शंका हुई तो जांच हुई और फर्जीवाड़ा सामने आ गया। कोर्ट ने फार्म भरने वाले, परीक्षा में शामिल होने वाले आरोपित के अलावा उन तीन आरोपितों को भी सजा सुनाई, जिन्होंने फर्जीवाड़े में भूमिका निभाई थी।

कालेज में एडमिशन लेने गया तो हुआ खुलासा

वर्ष 2013 में हुई पीएमटी में भिंड निवासी रवींद्र कुमार ने परीक्षा का फार्म भरा था, लेकिन उसके स्थान पर ग्वालियर निवासी विक्रांत कुमार परीक्षा में शामिल हुआ। बाद में जब रवींद्र एमजीएम मेडिकल कालेज में प्रवेश की औपचारिकता पूरी करने गया तो मामला सामने आया। तत्कालीन डीन ने इस मामले की सूचना तुरंत पुलिस को दी। बाद में यह मामला सीबीआइ को सौंप दिया गया। पुलिस ने रवींद्र कुमार और विक्रांत कुमार के अलावा रामचित्र जाटव, राकेश खन्ना और ब्रजेश को भी आरोपित बनाया।

कोर्ट में 52 गवाहों के बयान हुए

सीबीआइ की तरफ से विशेष लोक अभियोजक रंजन शर्मा ने 52 गवाहों के बयान करवाए। गुरुवार को विशेष न्यायाधीश संजय कुमार गुप्ता ने उक्त पांचों आरोपितों को पांच-पांच वर्ष कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने आरोपितों पर 12 से 16 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है।