इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) की तरफ से बनाए गए यूनिक डॉक्यूमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर (यूडीआईएन) तेजी से जनरेट हो रहे हैं. फर्जीवाड़ा करने वाले ना केवल बैंक ऑडिट, बल्कि सरकारी टेंडरों तक में फर्जी सीए बनकर लोग दस्तावेजों को सर्टिफाई कर दिया करते थे. आईसीएआई अध्यक्ष अनिकेत तलाटी ने बताया कि देश में इस साल 12 अप्रैल तक ऐसे करीब 5 करोड़ यूआईडीएन जनरेट किए जा चुके हैं.
वहीं 1.38 लाख सदस्यों ने यूडीआईएन पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है. उनके मुताबिक यूडीआईएन को सभी प्रकार के प्रमाणन, जीएसटी और टैक्स ऑडिट रिपोर्ट और अन्य लेखा परीक्षा के लिए अनिवार्य किया गया है. साथ ही तमाम तरह के ऐसे सत्यापन कार्यों के लिए जरूरी कर दिया गया है जिस पर पूर्णकालिक चार्टर्ड एकाउंटेंट हस्ताक्षर करते हैं.
फर्जी शिकायतें सामने आई थी
आईसीएआई के वाइस प्रेसिडेंट रंजीत कुमार अग्रवाल ने बताया कि पिछले कुछ सालों में तमाम तरह की शिकायतें ऐसी मिली जिनमें फर्जी सीए बनकर लोगों ने दस्तखत कर रखे थे. ऐसा भविष्य में न हो इसके लिए ये व्यवस्था 2019 से शुरू कर दी गई है और अब इसमें ज्यादा तेजी देखने को मिल रही है. उन्होंने ये भी बताया कि न केवल सर्टिफिकेट बल्कि हजारों करोड़ रुपए के सरकारी टेंडरों को हासिल करने वाले लोगों के दस्तावेजों में भी ऐसी गड़बड़ियां देखने को मिली थी.
वहीं ICAI अध्यक्ष अनिकेत तलाटी ने कहा कि कोई भी चार्टेड अकाउंटेंट अगर अनियमितता या भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता है तो ICAI नियामक के तौर पर कड़ा कदम उठाता है. लाइफटाइम के लिए लाइसेंस तक छीन लिया जाता है. इसपर हमारी नीति जीरो टॉलरेंस की है. फर्जी सर्टिफिकेशन हुए हैं. संस्थान ने इसलिए सभी के लिए 1 जुलाई से एक्यूएमएम नंबर अनिवार्य कर दिया है.
ICAI इस बार 75 साल पूरा करा रहा है
देश में एकाउंटिंग क्षेत्र में जो भी चुनौतियां हैं. उसमें संस्थान सरकार के साथ है. जीएसटी, टैक्सेशन समेत हरेक सुधार के पहलू पर हमने काम किया है. 75 साल ICAI को हो रहे हैं. एक जुलाई को स्थापना के 75 साल पूरे होंगे. हमारी संस्था के कार्यालय 49 देशों में हैं. हम सिर्फ भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में एकाउंटिंग की सेवाएं दे रहे हैं. हमने बी-२० के आयोजन का फैसला लिया है जो जी-२० का डॉयलॉग फोरम होगा.