अतीक़ अहमद की कनपटी पर हमलावर ने जब गोली चलाई, उससे पहले और बाद में क्या-क्या हुआ?
जिस वक़्त ये हत्या हुई उस वक्त पुलिस अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ को मेडिकल चेप-अप के लिए अस्पताल ले जा रही थी.
अतीक़ अहमद और अशरफ़ पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में जेल में बंद थे.
राजू पाल हत्या के गवाह उमेश पाल की हत्या के मामले में पूछताछ के लिए उन्हें साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया था.
दो दिन पहले (गुरुवार को) ही अतीक़ अहमद के एक बेटे असद अहमद और उनके साथ मौजूद उनके साथी ग़ुलाम मोहमम्द को उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स ने झांसी में हुए एक एनकाउंटर में मार दिया था.
शनिवार की रात अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ की हत्या के वक़्त किसने क्या देखा, कहा? उससे पहले और बाद में क्या-क्या हुआ? उसे हम सिलसिलेवार तरीक़े से बता रहे हैं.
हत्या से ठीक पहलेक्या हुआ?
जिस वक्त अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ पर हमला हुआ, उस वक्त पुलिसकर्मी उन्हें मेडिकल चेक-अप के लिए प्रयागराज के मोतीलील नेहरू मण्डलीय अस्पताल (काल्विन अस्पताल) के अंदर ले जाए जा रहे थे.
उससे ठीक पहले एक पुलिस जीप अस्पताल के बाहर आकर रुकी. कुछ पुलिसकर्मी आगे से उतर कर पीछे आए तो कुछ पीछे की सीट से बाहर आए.
जीप से पहले अशरफ़ को उतरा जाता है फिर अतीक़ अहमद को एक पुलिसकर्मी सहारा देकर बाहर उतारते हैं.
अशरफ़ ने काली टीशर्ट और पैंट पहन रखी थी तो अतीक़ अहमद सफ़ेद कुर्ते में थे.
बात पूरी नहीं कर पाए अतीक़ अहमद…
जीप से उतरने के 10 सेकेंड के भीतर अतीक़ और अशरफ़ मीडियाकर्मियों से घिर जाते हैं.
दोनों अस्पताल के ठीक सामने उससे क़रीब 10-15 मीटर की दूरी पर दिखते हैं. यहां मीडियाकर्मी दोनों भाइयों से पूछ रहे थे कि “क्या आप लोग कुछ कहेंगे… कुछ कहना चाहेंगे?”
इस पर अशरफ़ ने सवाल किया, “क्या कहें, किस बारे में क्या कहूं?”
एक मीडियाकर्मी ने पूछा, “आज जनाजे में आप लोग नहीं गए. तो उस बारे में क्या कहना है?”
इस पर अतीक़ अहमद बोले, “नहीं ले गए तो नहीं गए.”
इसके बाद अशरफ़ बोले, “मेन बात ये है कि गुड्डु मुस्लिम…”
अशरफ़ का इतना बोलना था कि कैमरे में दिखता है कि एक पिस्टल अतीक़ अहमद की कनपटी से सटी और गोली चली.
इसके बाद अतीक़ अहमद और उनके भाई को निशाना बना कर कई गोलियां चलीं और दोनों भाई वहीं पर गिर गए.
अतीक़ अहमद का आपराधिक रिकॉर्ड
- अतीक़ अहमद के आपराधिक इतिहास में 100 से भी अधिक मुक़दमे दर्ज हैं.
- मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, साल 1979 में पहली बार हत्या का मुक़दमा दर्ज हुआ. उस वक्त अतीक़ अहमद नाबालिग़ थे.
- 1992 में इलाहाबाद पुलिस ने बताया कि अतीक़ के ख़िलाफ़ बिहार में भी हत्या, अपहरण, जबरन वसूली आदि के क़रीब चार दर्जन मामले दर्ज हैं.
- प्रयागराज के अभियोजन अधिकारियों के मुताबिक़, अतीक़ अहमद के ख़िलाफ़ 1996 से अब तक 50 मुक़दमे विचाराधीन हैं.
- अभियोजन पक्ष का कहना है कि 12 मुक़दमों में अतीक़ और उनके भाई अशरफ़ के वकीलों ने अर्ज़ियां दाख़िल की हैं जिससे केस में चार्जेज़ फ़्रेम नहीं हो पाए हैं.
- अतीक़ अहमद बसपा विधायक राजू पाल ही हत्या के मुख्य अभियुक्त थे. मामले की जांच अब सीबीआई के पास थी.
- अतीक़ अहमद 24 फरवरी को हुए उमेश पाल की हत्या मामले के मुख्य अभियुक्त हैं.
- उमेश पाल, राजू पाल हत्याकांड के शुरुआती गवाह थे, लेकिन बाद में मामले की जांच संभाल रही सीबीआई ने उन्हें गवाह नहीं बनाया था.
- 28 मार्च को प्रयागराज की एमपीएमएलए अदालत ने अतीक़ अहमद को उमेश पाल का 2006 में अपहरण करने के आरोप में दोषी पाया और उम्र कै़द की सज़ा सुनाई.
घटना से जुड़े कई वीडियो सोशल में वायरल हो रहे हैं.
एक अन्य वीडियो में दिखता है कि दोनों भाइयों के हाथों में हथकड़ी लगी है और वो मीडियाकर्मियों से कैमरे पर बात कर रहे हैं.
जब वो बात कर रहे होते हैं तभी उन पर गोली चलती है और इस वीडियो में एक हमलावर शर्ट, नीली जींस, सफ़ेद जूते पहने हुए अतीक़ और अशरफ़ पर गोलियां चला रहा दिखता है.
साथ ही ये भी दिखता है कि दोनों भाई ख़ून में सने, ज़मीन पर गिरे हैं.
एक और वीडियो में दिखा कि अफरातफरी के बीच इन लोगों ने सरेंडर किया और पुलिसकर्मियों ने उन्हें दबोच लिया.
इस वीडियो में एक अन्य हमलावर दोनों हाथ ऊपर किए चेक शर्ट और जींस में दिखता है.
इस घटना से जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर भी शेयर किए गए और वायरल हो गए.
इस घटना के बाद पुलिस ने घटनास्थल से तमाम तरह के सबूत इकट्ठा किए. वहीं पर हमलावर ने जिस पिस्टल का इस्तेमाल किया उसे भी बरामद किया गया है.
साथ ही उन हमलावरों को भी पकड़ लिया जिन्होंने अतीक़ और अशरफ़ पर गोलियों चलाईं.
प्रयागराज पुलिस ने क्या बताया?
हत्या की इस घटना के बारे में प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा के मुताबिक़, “उन्हें बाध्यकारी मेडिकल जांच के लिए अस्पताल लाया गया था. प्राथमिक जानकारी के अनुसार जिन्होंने हमला किया वो तीन लोग थे जो मीडियाकर्मी बनकर आए थे. इस मामले में तीन लोगों को पकड़ा गया है जिनसे पूछताछ जारी है. जो लोग पकड़े गए हैं उनके पास कुछ असलाह मिला है. गोलीबारी में अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ की मौत के अलावा एक पुलिसकर्मी को भी गोली लगी है. साथ ही एक पत्रकार को भी चोट आई है.”
उन्होंने अतीक़ और उनके भाई अशरफ़ की मौत की पुष्टि की और साथ ही बताया कि हमलावर पकड़े गए हैं.
वे बोले, “इसमें तीन लोगों को पकड़ा गया है. पूछताछ कर रहे हैं. इसमें अतीक़ और अशरफ़ की मौत हुई है. एएनआई के लखनऊ के एक पत्रकार को गिरने से चोट भी आई है. साथ ही एक कॉन्सटेबल मान सिंह भी गोली से घायल हुआ है.
इस दौरान उनसे मीडियाकर्मियों ने हमलावरों को लेकर कुछ सवाल पूछे लेकिन उन्होंने अन्य कोई भी जानकारी साझा करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि अभी जांच चल रही है.
विजय मिश्राचश्मदीद की ज़ुबानी
इस घटना को क़रीब से देखने वाले अतीक़ अहमद के वकील रहे विजय मिश्रा ने गोली चलने के समूचे घटनाक्रम को बताया.
वे बोले, “पुलिस उनको गाड़ी से निकाल कर मेडिकल चेक-अप के लिए ले जा रही थी. जैसे ही मेडिकल कैंपस के गेट से दो क़दम आगे बढ़े गोलियों की आवाज़ आई. मेरे बगल में विधायक को गोली लगी और फिर सांसद जी को गोली लगी दोनों वहीं गिर गए और फ़िर भगदड़ मच गई.”
जब उनसे पूछा गया कि क्या पुलिस ने बचाने की कोशिश नहीं की तो उन्होंने कहा, “पुलिस ने गोली चलाने वालों को तुरंत पकड़ लिया.”
क्या पुलिस ने कोई गोली चलाई? इस सवाल पर वो बोले, “नहीं उसे कोई देख नहीं पाया क्योंकि भगदड़ मच गई थी.”