छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनका सचिवालय लगातार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरता जा रहा है। उनकी करीबी उप सचिव सौम्या चौरसिया के जेल जाने के बाद उन IPS अधिकारियों की मुश्किल बढ़ गई है,जो 25 रूपए टन लेव्ही वसूलने के लिए कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी और मुख्यमंत्री कार्यालय के संपर्क में थे। ED ने अवैध वसूली में शामिल 3 IPS अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट में उनके कारनामो का खुलासा भी किया है।
कोल खनन घोटाले में शामिल तीनो आईपीएस अधिकारियों के बयान दर्ज करने के उपरांत ईडी ने अदालत को बताया है कि मामले की विवेचना जारी है,आने वाले दिनों भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराधों को लेकर जैसे-जैसे तथ्य और सबूत हाथ लगेंगे वैसे-वैसे कार्यवाही की जाएगी। इसके साथ ही आरोपी सौम्या चौरसिया के खिलाफ चार्जशीट पेश कर ED अपनी अगली कार्यवाही में जुट गई है।
छत्तीसगढ़ में IT-ED की छापेमारी में बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय सेवाओं के कई अधिकारियों के काले कारनामे सामने आ रहे है। बताते है कि आरोपी सुपर सीएम सौम्या चौरसिया के गिरोह में एक से बढ़कर एक सरकारी नगीने संविधान की कसम खाकर,छत्तीसगढ़ को लूटने का काम कर रहे थे। ED की चार्जशीट में कई IAS और IPS अधिकारियों द्वारा अपने पद,प्रभाव और अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए 25 रुपए टन अवैध वसूली की रैकेट में शामिल हो गए थे। सूत्र बताते है कि करीब 500 करोड़ की वसूली हर माह सिर्फ कोयले की चोरी और परिवहन से होती थी। इस कार्य को सरकारी कार्य मान कर कई IAS और IPS अपने-अपने जिलों में लेव्ही वसूली अभियान में सहभागी बन गए थे।
छत्तीसगढ़ के कोल खनन परिवहन घोटाला देश में अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों द्वारा किसी चुनी हुई सरकार और उसके शीर्ष नेताओ को हाईजेक कर सरकारी मशीनरी के जरिए ब्लैक मनी जुटाने और मनी लॉन्ड्रिंग का सबसे बड़ा मामला है। ED ने अपनी चार्जशीट में कई ऐसे IAS और IPS की कार्यप्रणाली को भी अदालत के संज्ञान में लाया है,जो सुनियोजित रूप से भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे थे।
भारत सरकार और देश के ज्यूडिशियल सिस्टम के लिए भी इस घोटाले की जाँच बेहद जरुरी है। चार्जशीट के मुताबिक अवैध वसूली के लिए दबाव और ब्लैक मनी को ठिकाने लगाने के तौर तरीकों को किसी पेशेवर गिरोह की तर्ज पर अंजाम दिया जाता था। इससे सिर्फ आम जनता,उद्योगपतियों और कई कारोबारी ही पीड़ित नहीं थे बल्कि जनता का धन सरकारी तिजोरी के बजाए आरोपियों के जेब में जा रहा था।
छत्तीसगढ़ के कोल खनन घोटाले में ED की चार्जशीट ने फिलहाल 3 IPS अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ा दी है। इन तीनो अधिकारियों के खिलाफ अवैध लेव्ही वसूली के सबूत भी अदालत में पेश किए गए है। इनमे वर्ष 2008 बैच की IPS पारुल माथुर,2013 बैच के भोजराम पटेल और 2008 बैच के प्रशांत अग्रवाल का नाम शामिल है।
सूत्र बताते है कि ED को दिए अपने बयानों में कुछ IPS अधिकारियों ने गोल-मोल जवाब देकर सरकार की हकीकत से ED को वाकिफ कराया है।जबकि कुछ अधिकारियों ने खुले तौर पर मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ उप सचिव सौम्या चौरसिया पर ठीकरा फोड़ा है।
सूत्र बताते है कि पूछताछ के दौरान IPS अधिकारीयों ने बताया है कि कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी के तमाम कार्यो के लिए निर्देश मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त होते थे। सूर्यकांत के फरमानो का पालन करने के निर्देश भी उन्हें CMO द्वारा दिए गए थे।कोल खनन घोटाले में लिप्त तीनो आईपीएस अधिकारी जहां सिविल सर्विस अचार संहिता के तहत कदाचार के दायरे में है,वही उन पर अब भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और IPC की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध दर्ज करने की तलवार लटक रही है।
हालांकि ED ने मौजूदा पेश की गई चार्जशीट में इन अधिकारियों को आरोपी तो नहीं बनाया है। लेकिन उनके आपराधिक कृत्य दर्ज कर ऐसे अधिकारियों की कार्यप्रणाली जरूर अदालत के संज्ञान में लाई है। सूत्र बताते है कि केंद्रीय एजेंसियां राह तक रही है कि आखिर कब छत्तीसगढ़ सरकार कोल खनन परिवहन घोटाले के आरोपियों के खिलाफ अपने स्तर पर वैधानिक कार्यवाही करेगी।
दरअसल,ED की जाँच सिर्फ आर्थिक मामलो तक ही सीमित बताई जाती है। जबकि तमाम आरोपी कई और अपराधों के दायरे में है। बताते है कि आरोपियों के खिलाफ डकैती की धाराओं में भी मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। दरअसल,यह धारा 4 से अधिक व्यक्तियों द्वारा किसी अपराध को अंजाम देने पर प्रभावशील होती है। जबकि कोल खनन परिवहन घोटाले में दर्जन भर आरोपी नामजद किए गए है।
सूत्र बताते है कि अवैध वसूली के लिए IPS अधिकारी,कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी के हुक्म के गुलाम की तर्ज पर निर्देश प्राप्त कर,गिरोह का वसूली टारगेट पूरा करने में जुट जाते थे। इसके एवज में इन्हे वसूली गई रकम का 30 फीसदी तक हिस्सा कमीशन के रूप में प्राप्त होता था। बताते है कि सरकार की आँखों का तारा बनने के लिए वरिष्ठ अधिकारी प्राइवेट व्यक्ति सूर्यकांत को ऐसे रिपोर्ट करते थे,जैसे कि वो विभाग प्रमुख हो।
सूर्यकांत और सौम्या से जुड़े चैट का ब्यौरा कई अफसरों की चैट में दर्ज है। सूत्र बताते है कि ED के कब्जे वाली चैट और कई अधिकारियों की ख़ुफ़िया जांच रिपोर्ट पर ED की अगली कार्यवाही टिकी है। बताते है कि कानूनी दाँवपेंचो से बचने के लिए ED ने IPC और विभागीय कार्यवाही संबंधी राज्य सरकार के विषयो पर से किनारा कर लिया है। हालांकि निश्चित समयावधि के बाद आपराधिक मामला दर्ज करने हेतु वो राज्य सरकार को सिफारिश कर सकती है।
ED समेत अन्य केंद्रीय एजेंसियां राज्य में भ्रष्टाचार की जांच में सक्रीय है। वही दूसरी ओर आरोपियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही किए जाने को लेकर छत्तीसगढ़ शासन की सुस्ती चर्चा में है। भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की मांग को लेकर कई बार प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को पत्र लिखने को लेकर सुर्ख़ियों में रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से अब लोगो को उम्मीद है कि वे जल्द ही सभी आरोपियों के खिलाफ IPC की धाराओं के तहत भी प्रकरण दर्ज करने के निर्देश देंगे। फिलहाल,लोगों की निगाहें उनके अगले फैसले पर टिकी हुई है