प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सह-अध्यक्ष बिल गेट्स से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बातचीत की। दोनों महत्वपूर्ण हस्तियों ने कोविड-19 के संबंध में वैश्विक स्तर पर उठाए जा रहे कदमों और इस महामारी से निपटने के लिए वैज्ञानिक नवाचारों तथा अनुसंधान एवं विकास के संबंध में वैश्विक तालमेल के महत्व के बारे में चर्चा की।
प्रधानमंत्री ने इस स्वास्थ्य संकट के खिलाफ जंग में भारत की ओर से अपनाए गए सतर्क दृष्टिकोण को रेखांकित किया, जो उपयुक्त संदेश के माध्यम से जनता को साथ जोड़ना सुनिश्चित करने पर आधारित है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार इस लोक-केंद्रित, नीचे से ऊपर के (बॉटम-अप) दृष्टिकोण ने दैहिक दूरी या फिजिकल डिस्टेंसिंग को स्वीकृति दिलाने, फ्रंट-लाइन कार्यकर्ताओं के लिए सम्मान, मास्क पहनने, उचित स्वच्छता रखने तथा लॉकडाउन के प्रावधानों का सम्मान कराने में सहायता की।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी रोशनी डाली कि किस प्रकार सरकार की ओर से अतीत में उठाए गए – वित्तीय समावेशन का विस्तार करने, स्वास्थ्य सेवाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने, स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से साफ-सफाई और स्वच्छता को लोकप्रिय बनाने, लोगों की प्रतिरक्षा बढ़ाने में भारत के आयुर्वेद से ज्ञान गहण करने आदि जैसे कुछ कदमों ने- मौजूदा महामारी से निपटने के भारत के प्रयासों की दक्षता को बढ़ाने में सहायता की है।
प्रधानमंत्री ने केवल भारत में नहीं, बल्कि विश्व के कई अन्य भागों में गेट्स फाउंडेशन द्वारा कोविड-19 से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर किए जा रहे कार्यों में समन्वयन के साथ-साथ स्वास्थ्य से संबंधित कार्यों की सराहना की। उन्होंने श्री गेट्स से इस बारे में सुझाव मांगे कि विश्व के कल्याण के लिए भारत की क्षमताओं और सामर्थ्य का किस प्रकार बेहतर उपयोग किया जा सकता है।
इस संदर्भ में दोनों विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा जिन विचारों पर गौर किया गया, उनमें ग्रामीण क्षेत्रों में अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के भारत के विलक्षण मॉडल से प्रेरणा लेना, भारत सरकार द्वारा सम्पर्क में आने वाले लोगों का पता लगाने के लिए तैयार किए गए कारगर मोबाइल एप का प्रसार तथा सबसे बढ़कर भारत की विशाल फार्मास्यूटिकल क्षमता का उपयोग करते हुए खोजे गए टीकों और रोग चिकित्सा से संबंधित उत्पादन बढ़ाना शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर सहमति प्रकट की कि वैश्विक प्रयासों, विशेषकर साथी विकासशील देशों के लाभ की दिशा में योगदान देने की भारत की इच्छा और क्षमता के मद्देनजर महामारी से निपटने की समन्वित प्रतिक्रिया के लिए वर्तमान में जारी वैश्विक विचार-विमर्श में उसे शामिल किया जाना महत्वपूर्ण है।
अंत में प्रधानमंत्री ने यह सुझाव भी दिया कि कोविड-19 के बाद उभरने वाली जीवन शैलियों, आर्थिक संगठन, सामाजिक व्यवहार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रसार के साधनों में आवश्यक बदलावों तथा समाधान की आवश्यकता वाली संबंधित प्रौद्योगिकीय चुनौतियों का विश्लेषण करने में गेट्स फाउंडेशन नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत को अपने अनुभवों के आधार पर ऐसे विश्लेषणात्मक अभ्यास में योगदान देकर प्रसन्नता होगी।