नई दिल्ली। पर्यावरण पर वाहनों से होने वाले प्रदूषण के गंभीर असर को देखते हुए सरकार वाहनों की फिटनेस को लेकर सख्त कदम उठाने जा रही है। सरकार अब पुराने वाहनों पर बड़ा टैक्स लगाने की तैयारी में हैं, जिससे लोगों को इसके इस्तेमाल से रोका जाए। हालांकि दूसरी तरफ सरकार स्क्रैपिंग पॉलिसी भी लेकर आई है जिससे लोगों को पुराने वाहन देकर नए वाहनों को खऱीदने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाए।
किन वाहनों पर लग सकता है टैक्स
सरकार के मुताबिक 15 साल से अधिक पुराने वाहन ग्रीन टैक्स के दायरे में आते हैं। सरकार पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण पर अंकुश के लिए ऐसे पुराने वाहनों पर जल्द हरित कर लगाने की तैयारी कर रही है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस साल जनवरी में प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों पर हरित कर लगाने का प्रस्ताव किया था। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने देशभर में ऐसे वाहनों के आंकड़ों को डिजिटल किया है। आंकड़ों के अनुसार, चार करोड़ से अधिक वाहन 15 साल से ज्यादा पुराने हैं। इनमें से दो करोड़ वाहन तो 20 साल से अधिक पुराने हैं। मंत्रालय ने कहा कि वाहनों का डिजिटल रिकॉर्ड केंद्रीयकृत वाहन डाटाबेस पर आधारित है। इसमें आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और लक्षद्वीप के आंकड़े शामिल नहीं हैं।
कितना लगेगा टैक्स
प्रस्ताव के तहत आठ साल से अधिक पुराने वाहनों पर फिटनेस प्रमाणन के नवीकरण के समय पथकर के 10 से 25 प्रतिशत के बराबर कर लगाया जाएगा। व्यक्तिगत वाहनों पर 15 साल बाद नवीकरण के समय कर लगाने का प्रस्ताव है। वहीं सार्वजनिक परिवहन वाहनों मसलन बसों आदि पर निचला हरित कर लगाया जाएगा। वहीं बेहद प्रदूषित शहरों में पंजीकृत वाहनों पर ऊंचा यानी पथकर के 50 प्रतिशत के बराबर कर लगाने का प्रस्ताव है।
कहां हैं सबसे ज्यादा पुराने वाहन
पुराने वाहनों के मामले में कर्नाटक शीर्ष पर है। कर्नाटक की सड़कों पर ऐसे 70 लाख वाहन दौड़ रहे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश में ऐसे वाहनों की संख्या 56.54 लाख है, जिनमें से 24.55 लाख वाहन 20 साल से अधिक पुराने हैं। राजधानी दिल्ली 49.93 लाख वाहनों के साथ तीसरे स्थान पर है। दिल्ली में 35.11 लाख वाहन 20 साल से अधिक पुराने हैं। केरल में ऐसे वाहनों की संख्या 34.64 लाख, तमिलनाडु में 33.43 लाख, पंजाब में 25.38 लाख और पश्चिम बंगाल में 22.69 लाख है। महाराष्ट्र, ओडिशा, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा में ऐसे वाहनों की संख्या 17.58 लाख से 12.29 लाख के बीच है। वहीं झारखंड, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी, असम, बिहार, गोवा, त्रिपुरा और संघ शासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव में ऐसे वाहनों की संख्या एक लाख से 5.44 लाख के बीच है। आंकड़ों के अनुसार, शेष राज्यों में ऐसे वाहनों की संख्या एक लाख से कम है।