ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. सिंधिया के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया है, साथ ही पार्टी की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया भी दी गई है.
सिंधिया के इस फैसले से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि जिस पार्टी ने इतना दिया है, वो उससे बेईमानी कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि सिंधिया के इस फैसले से पार्टी का नुकसान हुआ है और लगता है मध्य प्रदेश में हमारी सरकार नहीं बच पाएगी. अधीर रंजन ने सिंधिया के इस फैसले को पार्टी के साथ गद्दारी करार दिया.
अधीर रंजन ने ये भी कहा कि सिंधिया कांग्रेस में राजा की तरह थे, लेकिन बीजेपी में जाकर वो प्रजा हो जाएंगे.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर सिंधिया पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि सिंधिया ने लोगों के विश्वास के साथ-साथ विचारधारा के साथ भी विश्वासघात किया है। इन्होंने साबित कर दिया है कि ऐसे लोग बिना सत्ता के कामयाब नहीं हो सकते हैं। बेहतर होगा ऐसे लोग जितना जल्द पार्टी छोड़ दें।
Mr Scindia has betrayed the trust of the people as well as the ideology. Such people proves they can’t thrive without power. Sooner they leave the better.
अरुण यादव ने इस्तीफे की खबर आने के साथ ही ट्वीट करते हुए उन्हें इशारों में धोखेबाज और गद्दार तक करार दे दिया। अरुण यादव ने ट्वीट कर लिखा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा अपनाए गए चरित्र को लेकर मुझे ज़रा भी अफसोस नहीं है।
सिंधिया परिवार गद्दार है’ का ट्रेंड शुरू हो गया है। जिसमें यूजर उनके खिलाफ कई कमेंट करते हुए नजर आए। एक ने लिखा कि 1857 में बिके थे गोरों से, 1967 में बिके थे चोरों से और 2020 में बिके हैं गिद्धों से। Also Read – CM कमलनाथ ने 6 मंत्रियों की बर्खास्तगी के लिए राज्यपाल को लिखा पत्र एक ने लिखा कि लोगों को ये बताने के लिए धन्यवाद कि आपके परिवार का इतिहास क्या है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के परिवार का इतिहास
ज्योतिरादित्य सिंधिया के परिवार का इतिहास भी ऐसा ही रहा है। उनके पिता और दादी ने भी कांग्रेस का दामन छोड़कर दूसरी पार्टी ज्वाईन कर ली थी। 1967 में मध्यप्रदेश में डीपी मिश्रा की सरकार थी। उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी राजमाता विजयराजे सिंधिया कांग्रेस के साथ थी। लेकिन कांग्रेस से अंधरुनी अनबन के कारण उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़कर जनसंघ पार्टी का हाथ थाम लिया था। लोकसभा चुनाव में वो जनसंघ पार्टी से चुनाव भी जीती थी। वहीं 1993 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया ने भी कांग्रेस का साथ छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाई थी। लेकिन बाद में उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और वो कांग्रेस में फिर से लौट आए थे।