भोपाल एक्सप्रेस में नए कोच लगने के साथ यह सुविधा मिली

 

 

 शान-ए-भोपाल एक्सप्रेस की शान एक जनवरी से और बढ़ गई है। यह ट्रेन शुक्रवार रात 10.40 बजे हबीबगंज स्टेशन से नए एलएचबी कोचों से रवाना हुई है। ट्रेन एक घंटे पहले से प्लेटफार्म-एक पर खड़ी थी। जिन यात्रियों को जाना था वे स्टेशन पर पहुंचे तो कुछ देर तक वे अंचभित रह गए। क्योंकि ट्रेन रोज नीले रंग वाले पुराने कोच से चलती थी जिसमें नए कोच लग गए थे। यात्रियों ने कोच पर लिखा नाम देखा और पूछताछ की तो पता चला कि यह भोपाल एक्सप्रेस ही है। यात्रियों ने अंदर प्रवेश किया तो वे और खुश हो गए। ये कोच जर्मन कंपनी लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) के तकनीकी सहयोग से तैयार किए हैं। नए कोच लगने से ट्रेन की गति बढ़ाकर 130 किलोमीटर प्रति घंटा कर दी है। यह ट्रेन हबीबगंज से हजरत निजामुद्दीन के बीच चलती है।

शताब्दी एक्सप्रेस की गति भी बढ़ाई

शुक्रवार दोपहर को हबीबगंज से नई दिल्ली जाने वाली शताब्दी एक्सप्रेस को भी 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से रवाना किया है। अभी तक यह ट्रेन 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। दोनों ट्रेनें भोपाल रेल मंडल में हबीबगंज से बीना तक बढ़ी हुई गति से चलेंगी। रेलवे ने भोपाल रेल मंडल के बीना से लेकर इटारसी तक ट्रेनों की गति बढ़ाई है। इनमें उन प्रीमियम, मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों को शामिल किया है जिनमें पूर्व से एलएचबी कोच लगे हैं या फिर अब लगाए जा रहे हैं। शताब्दी में पूर्व से ही एलएचबी कोच लगे हैं। ट्रेनों की गति बढ़ने से यात्रियों को फायदा होगा, वे एक से दूसरे स्टेशनों के बीच जल्दी पहुंच सकेंगे।

भोपाल एक्सप्रेस में यह सुविधा भी मिली

– नए कोचों में साइड लोअर बर्थ को सुविधा जनक बना है। यात्रियों की सुविधा को देखते हुए एक अतिरिक्त गद्दीदार स्लाइड बर्थ दी है जिसे यात्री सुविधानुसार निकालकर उस पर सो सकते हैं।

– प्रत्येक बर्थ के आसपास बोतल होल्डर व चार्जिंग पॉइंट दिए हैं।

– ट्रेन के अंदर एलईडी लाइट्स लगाईं हैं, कोच का फर्श उच्च गुणवत्ता वाला है। विंडों के कांच स्पष्ट और बड़े आकार के हैं।

 

नए कोच दुर्घटना में ऐसे बचाएंगे

– ये 200 किमी की गति से दौड़ने में सक्षम हैं। यदि ट्रेन पटरी से उतरती हैं तो एक-दूसरे पर नहीं चढ़ेंगे। इनमें बफर कप्लर लगा होता है।

– ये साउंडलेस हैं इनमें बाहर की आवाज कम सुनाई देती हैं। शौचालय में सुविधाजनक टॉयलेट सीट लगी हैं।

– कोच की दीवारें अधिक मजबूत है। इस वजह से दुर्घटना की स्थिति में यात्रियों को अधिक नुकसान नहीं होगा।

Shares