बच नहीं सकते अडानी, बड़े भाई के शेयर गिरवी रख रूसी बैंक से लिया लोन- कांग्रेस

 

कांग्रेस पार्टी गौतम अडानीको राहत देने के मूड में नहीं है. पार्टी के प्रवक्ता उदित राज ने बड़े दावे किए हैं.

उन्होंने अडानी के बड़े भाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने भाई का शेयर गिरवी रखकर रूसी बैंक से लोन लिया. कांग्रेस नेता ने कहा कि इसके बावजूद गौतम अडानी कहते हैं कि भाई से कोई लेना-देना नहीं है, जबकि बड़ा भाई ही मॉरीशस में शेल कंपनियां चलाता है. इसके साथ उन्होंने कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को भी टैग किया है. उधर पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने भी अडानी ग्रुप में एलआईसी-एसबीआई के निवेश पर सवाल उठाए हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता उदित राज ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्विट किया, ‘अब अड़ानी बच नही सकता. बड़ा भाई विनोद प्रोमोटर्स के शेयर गिरवी रख रूसी बैंक से लोन लिया. अब तक झूठ बोला कि भाई से लेना देना नही है. मौरिशस में सेल कंपनियां यही चलाता है.’ कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी के तमाम नेता अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को लेकर मोदी सरकार और गौतम अडानी को निशाने पर लिए हुए हैं. रिपोर्ट में बताया गया था कि अडानी ने शेल कंपनियों के जरिए अपने शेयर के दाम बढ़ाकर मार्केट और इन्वेस्टर्स को मैनिपुलेट करने की कोशिश की और मोटा मुनाफा कमाया.

 

 

 

अडानी समूह में करोड़ों रुपए का सरकारी निवेश

अडानी समूह में सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी ने करोड़ों रुपए का निवेश कर रखा है. इतना ही नहीं रिसर्च रिपोर्ट सामने आने के बाद भी कथित रूप से एलआईसी ने 300 करोड़ रुपए के निवेश का ऐलान किया था. वहीं भारतीय सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने गौतम अडानी को दो अरब रुपए से ज्यादा के लोन दिए हैं, जो लोन के लिए निर्धारित कुल रकम का आधा है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल भी किया कि क्या भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को यह निर्देश दिया गया था कि वे करोड़ों भारतीयों की बचत को एक बार फिर से अडानी समूह को उबारने के लिए निवेश करें?

अडानी के एफपीओ की नैया पार लगाने में मदद

कांग्रेस की हम अडानी के हैं कौन सीरीज के तहत पिछले कुछ दिनों की तरह शनिवार को भी कांग्रेस नेता रमेश ने प्रधानमंत्री से कुछ सवाल किए. उन्होंने कहा, आज के प्रश्न इस बात से संबंधित हैं कि कैसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्यों ने सार्वजनिक धन का उपयोग करके और अपने करीबी व्यवसायी मित्रों से अनुग्रह की गुहार लगाकर अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ की नैया पार लगाने का प्रयास किया.

रमेश ने सवाल किया, क्या यह सच है कि लंबे समय से व्यावसायिक संबंध रखने वाले और हमेशा सुर्खियों में बने रहने वाले एक केंद्रीय मंत्री ने गौतम अडानी की ओर से पांच-छह प्रसिद्ध व्यवसायियों को व्यक्तिगत रूप से फोन किया और उन्हें गौतमभाई को शर्मिंदगी से बचाने के लिए उनके एफपीओ में अपने व्यक्तिगत धन का निवेश करने के लिए आग्रह किया? उन्होंने यह भी पूछा, क्या यह विषय जांच के लायक हितों के टकराव का नहीं है? क्या इस केंद्रीय मंत्री ने आपके निर्देश पर यह काम किया?

(भाषा इनपुट के साथ)

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