देश में और खतरनाक हुआ कोरोना,वैज्ञानिकों नहीं बता पा रहे कि नया पीक कब आएगा

 

 

भारत में छह महीने बाद 28 मार्च को दुनिया में सबसे ज्यादा 68,020 नए कोरोना मरीज मिले। यह आंकड़ा पिछले 169 दिन में सबसे ज्यादा है। इससे पहले पिछले साल 10 अक्टूबर को 74,418 मामले सामने आए थे। देश के 15 से ज्यादा जिलों में कोरोना की दूसरी लहर भयानक रूप ले चुकी है। इन जिलों में नए मरीजों के आंकड़े में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, यानी अभी पीक नहीं आया है।

पीक कब आएगा, इस बारे में कोई भी वैज्ञानिक स्पष्ट रूप से कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि इसे संक्रमण की दूसरी लहर का शुरुआती दौर माना जा रहा है। हालात ये हैं कि महाराष्ट्र के कुछ जिलों में नए मरीजों का ग्राफ सितंबर 2020 में बने पीक से दो-तीन गुना ज्यादा ऊंचा हो गया है।

महाराष्ट्र के हालात से सबक लेने की जरुरत
वैज्ञानिकों का साफ कहना है कि सभी राज्यों को महाराष्ट्र की मौजूदा स्थिति से सबक लेना चाहिए। महाराष्ट्र में नए मरीजों के बढ़ने का बड़ा कारण टेस्टिंग कम होना है। मुंबई, पुणे, नागपुर जैसे जिलों में हर 100 टेस्ट में 20 से ज्यादा संक्रमित मिलने लगे हैं। यह दर्शाता है कि जहां भी संक्रमण की दूसरी लहर आ रही है, वह पहली लहर से ज्यादा संक्रामक है।

डी-हाईड्रेशन और उल्टी-दस्त होने पर भी टेस्ट कराना जरूरी, 20% मरीजों में ऐसे लक्षण दिख रहे
कोविड नेशनल रिसर्च टास्कफोर्स के चेयरमैन डॉ. नरेंद्र अरोड़ा के मुताबिक, कोरोना फैलने के शुरुआती दौर में बुखार, जुकाम, खांसी जैसे लक्षण आम थे। तब इस बीमारी के बारे में उतनी समझ भी नहीं थी। अब हम देख रहे हैं कि डी-हाईड्रेशन, उल्टी-दस्त, जोड़ों का दर्द, बॉडी ऑर्गन का कम काम करना, हृदय कमजोर होना, फेफड़ों की क्षमता घटना जैसे कई तरह के लक्षण हैं, जो कोरोना मरीजों में देखने को मिल रहे हैं। इसलिए अगर किसी व्यक्ति को उल्टी-दस्त की शिकायत हो तो उसे भी कोरोना टेस्ट करा लेना चाहिए।

टेस्टिंग ही एकमात्र तरीका, ब्रिटेन-इजराइल जैसे देश हैं उदाहरण
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न पर्थ में हेल्थ रिसर्चर डॉ. श्रीनिवास गोली के मुताबिक, सर्दी-जुकाम-बुखार जैसे लक्षणों के अलावा दूसरे लक्षण दिखने पर भी अब कोरोना का टेस्ट कराना बेहद जरूरी हो गया है। इसके दो फायदे हैं। पहला- कोरोना है तो बाकी लोग संक्रमित होने से बच जाएंगे। दूसरा- समय पर इलाज शुरू होगा तो मौत का खतरा टल सकेगा। ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, इजराइल जैसे देशों ने 100% टेस्टिंग का तरीका अपना रखा है। भारत को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

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