कम ग्रोथ-ज्यादा कर्ज से बिगड़ी देश की इकोनॉमी

कम ग्रोथ, ज्यादा कर्ज बोझ और कमजोर वित्तीय व्यवस्था की वजह से भारत के क्रेडिट प्रोफाइल पर दबाव बढ़ रहा है. कोरोना वायरस महामारी के कारण हालात और बिगड़ गए हैं. ये बातें दुनिया की चर्चित रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कही है. मूडीज ने इसके साथ ही देश की जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को भी संशोधित कर दिया है.

इस बार मूडीज ने कहा है कि जीडीपी ग्रोथ रेट निगेटिव में 11 फीसदी तक लुढ़क जाएगी. आपको बता दें कि मूडीज ने पहले निगेटिव में 4 फीसदी गिरावट का अनुमान जताया था. मूडीज ने चेतावनी दी कि इकोनॉमी और फाइनेंशियल सिस्टम में गहरे दबाव के कारण परस्पर जोखिम से राजकोषीय स्थिति और बदतर हो सकती है. इससे क्रेडिट प्रोफाइल पर दबाव और बढ़ सकता है.

क्रिसिल का 9 फीसदी गिरावट का अनुमान था
इससे पहले, रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में निगेटिव 9 फीसदी की गिरावट आ सकती है. क्रिसिल ने अपने पूर्व के अनुमान में भारी बदलाव किया है. इसके पहले मई माह में जारी अनुमान में क्रिसिल ने कहा था कि इस वित्त वर्ष में जीडीपी में 5 फीसदी की गिरावट आ सकती है. क्रिसिल ने कहा कि अगर जीडीपी में 9 फीसदी की गिरावट आई तो यह 50 के दशक के बाद बाद की सबसे बड़ी ​गिरावट होगी.

सभी रेटिंग एजेंसियां कर रही हैं निराश
इससे पहले कई रेटिंग एजेंसियों ने इस पूरे वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 9 से 15 फीसदी तक की गिरावट का आंकड़ा जारी कर​ दिया है. रेटिंग एजेंसी फिच ने यह अनुमान जारी किया था कि कोरोना संकट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में इस वित्त वर्ष में 10.5 फीसदी की गिरावट आ सकती है.

वहीं, इनवेस्टमेंट बैंक गोल्डमन सैक्श ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 14.8 फीसदी की भारी गिरावट आ सकती है. इंडिया रेटिंग ऐंड रिसर्च ने वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जीडीपी में 11.8 फीसदी की गिरावट का अनुमान जारी किया है.

पहली तिमाही के आंकड़े
आपको बता दें कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 24 फीसदी की गिरावट रही है. दरअसल, इस दौरान देश में सख्त लॉकडाउन लागू था. इस वजह से सभी तरह के कारोबार या सेवाएं बंद हो गई थीं.

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