दुनिया भर में कोरोना वायरस की धीमी होती रफ्तार के साथ अब ये चर्चा भी होने लगी है कि शायद हम इस महामारी के अंत की ओर बढ़ रहे हैं। कुछ लोग ओमिक्रॉन के माइल्ड संक्रमण को इसकी वजह मान रहे हैं, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने इसे लेकर बड़ी चेतावनी दी है। स्वामीनाथन ने ब्लूमबर्ग से बातचीत में कहा है कि महामारी के खत्म होने की अफवाहों पर भरोसा करना हमारी बेवकूफी होगी।
सौम्या स्वामीनाथन के इंटरव्यू के कुछ अंश-
सवाल: महामारी का अंत कब होगा?
जवाब: इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है। महामारी खत्म होने की अफवाहों पर भरोसा करके सतर्क रहना छोड़ देना हमारी बेवकूफी होगी। कोरोना का नया वैरिएंट कभी भी, कहीं भी ईजाद हो सकता है और हम फिर से उसी स्थिति में लौट सकते हैं। इसलिए अब भी सावधानी बरतने की जरूरत है। उम्मीद है कि 2022 के अंत तक हम बेहतर स्थिति में आ जाएंगे।
सवाल: क्या महामारी में साइंस पर हुई राजनीति ने आपको हैरान किया?
जवाब: हां, इससे मुझे बहुत हैरानी हुई। महामारी के दौरान वैज्ञानिकों और विज्ञान पर हमले देखकर मुझे बहुत निराशा हुई। हमें लोगों को विज्ञान और स्वास्थ्य के विषयों पर जागरूक करने की जरूरत है। युवाओं को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए, जिससे वो हर जानकारी पर तर्क के साथ सवाल उठा सकें।
सवाल: अमीर देशों में वैक्सीन की एक से ज्यादा डोज मिल रही हैं, लेकिन गरीब देश इस मामले में स्ट्रगल कर रहे हैं। क्या इससे नया वैरिएंट बनने की संभावना है?
जवाब: फिलहाल अमेरिका जैसे अमीर देशों में वैक्सीन की भरमार है और अफ्रीका के कई गरीब देशों में वैक्सीन की कमी। अफ्रीका के 85% लोगों को अब तक वैक्सीन की पहली डोज भी नसीब नहीं हुई है। ऐसे में कोरोना के नए वैरिएंट्स बनने की पूरी संभावना है, क्योंकि लोगों में ये वायरस फैलता ही चला जा रहा है।
सवाल: क्या आपने वुहान लैब से वायरस लीक होने की थ्योरी को खारिज कर दिया है?
जवाब: WHO की जिस टीम ने चीन का दौरा किया था, उसे वायरस के जानवर से इंसान में ट्रांसफर होने की संभावना ज्यादा लगी। ये जानवर जंगली था या पालतू, पक्षी था या चमगादड़, ये कहना अभी मुश्किल है। हालांकि इसका मतलब ये नहीं कि ये लैब लीक नहीं हो सकता। हमें इस विषय पर और रिसर्च करने की जरूरत है।
सवाल: कोरोना वायरस के ओरिजिन के बारे में आपका क्या कहना है?
जवाब: अधिकतर वायरस जानवरों से ही इंसानों में ट्रांसफर होते हैं। किस जानवर से कौन सा वायरस आया, ये पता करने में सालों लग जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, SARS और MERS नाम के दो कोरोना वायरस मुश्क बिलाव (सिवट कैट) और ऊंट से इंसानों में आए, वैज्ञानिकों को ये समझने में सालों लग गए थे। वहीं, HIV वायरस चिंपैंजी से ट्रांसफर हुआ था, ये पता लगाने में भी बहुत समय लग गया था।
सवाल: क्या WHO महामारी के दौरान और अच्छा काम कर सकता था?
जवाब: हम और बेहतर काम कर सकते थे, लेकिन WHO ने कोरोना को हेल्थ इमरजेंसी तब घोषित किया था, जब दुनिया में इसके 100 से भी कम मामले थे और एक भी मौत नहीं हुई थी। यदि उस समय विश्व ने हमारी चेतावनी को गंभीरता से लिया होता तो शायद आज हमें महामारी से न जूझना पड़ता। चेतावनी के कुछ हफ्ते बाद ही यूरोप और अमेरिका में कोरोना ने तबाही मचाना शुरू कर दिया था।
सवाल: क्या WHO को और सशक्त बनाने की जरूरत है?
जवाब: हां, भविष्य में आने वाली खतरनाक महामारियों से बचने के लिए हमें पहले से तैयार रहने की जरूरत है। WHO के 194 मेंबर देशों को साथ मिलकर काम करना होगा। वायरस के आउटब्रेक की जांच करने के लिए कुछ नियम बनाने होंगे और सभी को उनका पालन करना होगा। इससे हम सभी को फायदा होगा।