*केंद्रीय मंत्री का पद मिलते ही अंहकार से भर गए है श्रीमंत सिंधिया
*मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने बैठने का कायदा भूल गए सिंधिया
*उम्र और राजनीतिक अनुभव में बड़े शिवराज का सम्मान भी न कर सके ज्योतिरादित्य
*विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन*:
मध्यप्रदेश के कोटे से राज्यसभा पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के मंत्रीमंडल विस्तार में सिविल एविएशन के मंत्री पद का दायित्व दिया गया है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने दिल्ली में मंत्री पद कार्यभार संभाला। मंत्री पद संभालते ही सिंधिया ने अपने गृह जिले ग्वालियर से 6 नई फ्लाइट शुरू करने के आदेश जारी कर दिए। इतना ही नहीं सिंधिया ने कार्यभार संभालते 72 घंटे के भीतर प्रदेश को 8 फ्लाइट के संचालन की सौगात दी। प्रदेश को मिली इस सौगात के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक दिवसीय दिल्ली दौरे पर गए। जहां उन्होंने पहले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। उसके बाद मुख्यमंत्री सीधे ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिलने पहुंचे। सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान की एक तस्वीर सोमवार को दिन भर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई। दराअसल इस तस्वीर में सिंधिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने पैर के ऊपर पैर रखकर एकदम राजशाही अंदाज में बैठे दिखाई दिए। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अपनी छवि अनुरूप शालीन अंदाज में बैठकर उनसे बात कर रहे थे। स्वभाव से अडियल और घमंडी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने से उम्र और राजनीतिक अनुभव में बड़े शिवराज सिंह की थोड़ी भी इज्जत करना मुनासिब नहीं समझा। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री सिंधिया की तरफ देखकर बात कर रहे थे और सिंधिया ने शिवराज सिंह को कोई तवज्जो देना भी उचित नहीं समझा और वो विपरीत दिशा में देखते हुए उनकी बात सुनते दिखाई दिए। सिंधिया शायद यह भूल गए कि कांग्रेस से भाजपा में और फिर केंद्रीय मंत्री मंडल में स्थान दिलवाने में प्रदेश और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बड़ा योगदान है। कहते है- जब किसी व्यक्ति को उसके मनमुताबिक पद बिना किसी मेहनत के मिल जाता है तो उसे उसकी वैल्यू समझ नहीं आती। ऐसी ही स्थिति है श्रीमंत सिंधिया की। विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी राज्यसभा कोटे से केंद्रीय मंत्रीमंडल तक पहुंच गए सिंधिया को बिना किसी मेहनत के वो सब कुछ मिल गया जो कमलनाथ सरकार के दौरान नहीं पा सके, जिसके बाद उन्होंने बौखलाहट के में आकर वर्षों पुरानी कांग्रेस पार्टी की सदस्यता सेकंडों में छोड़ दी।