
किसान आन्दोलनः बीच का रास्ता निकालने की जरूरत
ऋतुपर्ण दवे:- क्या किसान मजबूर है और खेती मजबूरी? यह प्रश्न बहुत अहम हो गया है। अब लग रहा है कि किसानों की स्थिति ‘उगलत लीलत पीर घनेरी’ जैसे हो गई है। बदले हुए सामाजिक व राजनीतिक परिवेश में वाकई किसानों की हैसियत और रुतबा घटा है। किसान अन्नदाता जरूर है लेकिन उसकी…