OTT प्लेटफॉर्म्स कंटेंट को लेकर केंद्र सरकार गंभीर

 

*OTT प्लेटफॉर्म्स कंटेंट को लेकर केंद्र सरकार गंभीर*

केंद्र सरकार OTT प्लेटफॉर्म पर बढ़ते गाली-गलौज और अश्लील कंटेंट को लेकर हमेशा से गंभीर रही है। इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने नागपुर में एक मीडिया कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि क्रिएटिविटी के नाम पर गाली गलौज बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जरूरत पढ़ने पर होगा नियमों में बदलाव

केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आगे कहा कि अगर नियमों में किसी तरह के बदलाव कि जरूरत पड़ी तो केंद्र सरकार इस दिशा में काम करेगी लेकिन क्रिएटिविटी के नाम पर किसी भी तरह की गाली गलौज बर्दाश्त नहीं करेगी। क्योंकि इन प्लेटफ़ॉर्मस् को क्रिएटिविटी के लिए आज़ादी मिली थी, गाली गलौज के लिए अश्लीलता के लिए नहीं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस पर जो भी ज़रूरी कार्रवाई करने की ज़रूरत होगी सरकार उस से पीछे नहीं हटेगी।

जानें क्या होते हैं OTT प्लेटफॉर्म?

OTT का पूरा नाम ओवर-द-टॉप प्लेटफॉर्म है। इसका इस्तेमाल ऑडियो और वीडियो होस्टिंग और स्ट्रीमिंग सेवा प्रदाता के रूप में किया जाता है। इसकी शुरुआत असल में कंटेंट होस्टिंग प्लेटफॉर्म के रूप में हुई थी, लेकिन वर्तमान में शॉर्ट फिल्म, वृत्तचित्रों और वेब-फिल्म का निर्माण कर रहे हैं।

OTT प्लेटफॉर्म्स को लेकर केंद्र सरकार के दिशा निर्देश

केंद्र सरकार ने डिजिटल मीडिया और OTT से जुड़े नियमों में आतंरिक एवं स्व-नियमन प्रणाली पर अधिक फोकस किया गया है जिसमें रचनात्मक स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए एक मजबूत शिकायत निवारण व्यवस्था की गई है। केन्द्र सरकार ने ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट के प्रकाशकों को कंटेंट का खुद ही वर्गीकरण करने के दिशा निर्देश दिए हैं जिसमें पांच उम्र आधारित श्रेणियों- यू (यूनिवर्सल), यू/ए 7+, यू/ए 13+, यू/ए 16+, और ए (वयस्क) के आधार पर कंटेंट का वर्गीकरण करना होगा। प्लेटफॉर्म्स को यू/ए 13+ या उससे ऊंची श्रेणी के रूप में वर्गीकृत कंटेंट के लिए अभिभावक लॉक लागू करने की जरूरत होगी।

कोरोना के दौरान OTT ज्यादा लोकप्रिय हुआ

कोरोना के समय थियेटर और सिनेमा दोनों बंद थे ऐसे में लोगों ने मनोरंजन के लिए OTT प्लेटफॉर्म को ज्यादा पसंद किया। लेकिन OTT प्लेटफॉर्म के बढ़ते दायरे ने कंटेन्ट की भाषा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए। सरकार सिविल सोसाइटी और अभिभावकों की तरफ से कई शिकायतें मिली हैं, साथ केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की गई। उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में ऐसे कई मामले आए थे, जिनमें अदालतों ने सरकार से उपयुक्त उपाय करने का भी अनुरोध किया था। चूंकि मामला डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से संबंधित है, इसलिए सावधानी से फैसला लिया गया कि डिजिटल मीडिया और OTT व इंटरनेट पर आने वाले अन्य रचनात्मक कार्यक्रमों की देखरेख केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा की जाएगी, लेकिन यह समग्र व्यवस्था सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अधीन रहेगी जो डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करता है।

 

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