निर्भया के चारों गुनहगारों को एक साथ दी गई फांसी

सात साल के बाद देश की बेटियों को इंसाफ

तिहाड़ जेल में निर्भया के चारों दोषी को फांसी

16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुआ था गैंगरेप

7 साल, 3 महीने और 4 दिन के बाद वह सुबह आ ही गई, जब निर्भया सच में मुस्कुराई। शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे उसके सभी दोषियों को एक साथ तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया।
16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में छह दरिंदों ने निर्भया से दुष्कर्म किया था। एक ने जेल में खुदकुशी कर ली थी, दूसरा नाबालिग था इसलिए तीन साल बाद छूट गया। बाकी बचे चार- मुकेश (32 साल), अक्षय (31 साल), विनय (26 साल) और पवन (25 साल) अपनी मौत से 2 घंटे पहले तक कानून के सामने गिड़गिड़ाते रहे। अंत में जीत निर्भया की ही हुई।
सभी दुष्कर्मियों को निचली अदालत ने 9 महीने में ही फांसी की सजा सुना दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट को महज 6 महीने लगे फांसी की सुनाई जा चुकी सजा पर मुहर लगाने में। इसके 2 साल 2 महीने बाद मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि फांसी ही होगी। फिर 2 साल 10 महीने और गुजर गए। 4 बार डेथ वारंट जारी हुए। आखिरी बार शुक्रवार को फांसी का दिन मुकर्रर कर दिया गया।
इससे पहले दुष्कर्मियों ने 15 घंटे में 6 अर्जियां लगाईं। शुक्रवार तड़के सवा तीन बजे तक हाईकोर्ट से लेकर सर्वोच्च अदालत तक सुनवाई होती रही। लेकिन सब अर्जी खारिज।
सुबह 5 बजे तिहाड़ जेल में फांसी की आखिरी तैयारियां शुरू कर दी गईं। दुष्कर्मियों को फांसी के तख्ते तक ले जाया गया। चारों के हाथ-पैर बांधे गए। दोषी विनय रोने लगा। फिर सभी दोषियों के चेहरे पर नकाब डाला गया और फंदे कस दिए गए। ठीक साढ़े पांच बजे जल्लाद पवन ने लीवर खींचा… और मानो देश को इंसाफ मिल गया। महज 7 मिनट बाद जेल अधिकारी ने चारों की मौत की पुष्टि कर दी। 30 मिनट बाद डॉक्टरों ने सभी को मृत घोषित कर दिया। अब इनके शवों को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जाएगा.

 

निर्भया की मां आशा देवी ने लंबे समय तक इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी, आज जब दोषियों को फांसी दी गई तो उन्होंने ऐलान किया कि 20 मार्च को वह निर्भया दिवस के रूप में मनाएंगी. आशा देवी का कहना है कि वह अब देश की दूसरी बेटियों के लिए लड़ाई लड़ेंगी.

आखिरी पल तक हुई बचाने की कोशिश

निर्भया के चारों दोषियों की ओर से आखिरी वक्त तक फांसी को टालने की कोशिश की गई. वकील एपी सिंह ने फांसी के दिन से एक दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट में डेथ वारंट को टालने के लिए याचिका दायर की गई, लेकिन इसमें दोषियों के खिलाफ फैसला आया.

आधी रात को वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और जब सर्वोच्च अदालत बैठी तो वहां भी निर्भया के दोषी कुछ ऐसी दलील नहीं दे सके जिसकी वजह से ये फांसी टले. हालांकि, एपी सिंह लगातार इस फांसी को गलत बताते रहे और मीडिया-अदालत और राजनीति पर आरोप मढ़ते रहे.

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