भोपाल में करीब डेढ़ साल बाद 6वीं से लेकर 12वीं तक की क्लास आज से सप्ताह भर के लिए खुलने जा रही हैं। 50% की क्षमता से ही क्लास लगाने के निर्देश के कारण एक बच्चा सप्ताह में तीन ही क्लास अटेंड कर सकेगा। शासन की गाइडलाइन के अनुसार स्कूल में प्रार्थना से लेकर अन्य गतिविधि में बच्चों के एक जगह जमा होने पर बंदिश है।
स्कूलों तक में स्टूडेंट्स आपस में कोई सामान न ले सकेंगे और न ही दे सकेंगे। छात्रों को खाने का सामान साथ लाना होगा। स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था तो की है, लेकिन सभी बच्चों को पानी साथ लाने की सलाह दी गई है। प्राइवेट स्कूल ने कैंटीन जैसी सुविधा बंद रखने का निर्णय लिया है, तो सरकारी स्कूल में मध्यान्ह भोजन नहीं मिलेगा।
बच्चों को स्कूल भेजना अनिवार्य नहीं है। यह माता-पिता की मर्जी पर है कि वे अपने बच्चे को स्कूल भेजना चाहते हैं या नहीं। भोपाल के सरकारी स्कूल विद्या विहार और होशंगाबाद रोड स्थित प्राइवेट स्कूल ज्ञान गंगा की लाइव रिपोर्ट के माध्यम बताने का प्रयास कर रहे हैं कि स्कूल कितने बदल गए हैं।
स्कूल में इस तरह प्रवेश
स्कूल में गेट से प्रवेश सिर्फ स्टूडेंट्स को दिया जाएगा। पेरेंट्स के अलावा वैक्सीन नहीं लगवाने स्टॉफ और शिक्षकों तक को प्रवेश नहीं मिलेगा। स्कूल के गेट पर ही बच्चों को एक-एक कर अंदर भेजा जाएगा। सबसे पहले बच्चे को स्कूल के बाहर रखे सैनिटाइजर से हैंड सैनिटाइज करना होगा। साबुन से भी हाथ धोने की व्यवस्था की गई है। इसके बाद बच्चे के शरीर के तापमान की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी। अगर शरीर का तापमान सामान्य रहता है, तो बच्चे को अंदर प्रवेश मिलेगा।
क्लास इस तरह लगेंगी
यहां पर क्लास टीचर बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए क्लास में ले जाएंगे। यहां पर एक-एक बच्चे को उसी क्रम में बेंच पर बैठाया जाएगा। इसमें एक बेंच छोड़कर छात्रों को बैठाया जाएगा। क्लास में टीचर सैनिटाइज करके ही कॉपी चेक करेंगे। बच्चों से सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही एक बार में एक ही बच्चे को बुलाएंगे।
भोपाल के ज्ञान गंगा इंटरनेशनल अकादमी जांच करता एक कर्मचारी।
बच्चे एक-दूसरे से चीजें नहीं बांट सकेंगे
स्कूलों से सभी पेरेंट्स को साफ तौर पर निर्देश दिए हैं कि बच्चे आपस में कोई भी सामान न लेंगे और न ही देंगे। इसका मतलब कॉपी से लेकर पेंसिल, पैन और अन्य सामान एक दूसरे से शेयर नहीं कर सकेंगे।
लंच क्लास में ही होगा
प्राइवेट स्कूलों ने कैंटीन बंद रखी हैं, जबकि सरकारी स्कूल में अभी मध्यान्ह भोजन नहीं दिया जाएगा। ऐसे में बच्चों को खुद ही खाने का सामान यानी टिफिन लाना होगा। पीने का पानी भी साथ लाने की सलाह दी गई है। अधिकांश स्कूलों ने क्लास में लंच किए जाने के निर्देश दिए हैं, जबकि कुछ जगह खुले स्थान में अकेले जाकर खाना खाने की छूट दी है। स्कूल के बाहर और एक ही जगह भीड़ न हो इस पर टीचर नजर रखेंगे।
बच्चों के लिए इस तरह मार्किंग की गई।
शरीर का तापमान अधिक होने पर क्या होगा
स्कूलों में बच्चों के बीमार होने पर अगल से कमरे की व्यवस्था की गई है। थर्मल स्क्रीनिंग या फिर क्लास लगने के दौरान तबीयब खराब होने जैसे बुखार, सर्दी-जुकाम और खांसी होने पर अलग कमरे में ले जाया जाएगा। यहां से बच्चे के पेरेंट्स को सूचना देने के साथ ही बच्चे को अस्पताल ले जाया जाएगा।
स्कूल में इस तरह बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा।
बच्चों को स्कूल भेजना अनिवार्य नहीं
स्कूल में बच्चों के आने के लिए माता-पिता की सहमति जरूरी है। शासन के निर्देश के अनुसार बच्चों को स्कूल जाना अनिवार्य नहीं है। माता-पिता चाहें तो उन्हें स्कूल नहीं भेजने का निर्णय ले सकते हैं। इस स्थिति में स्कूलों को ऑफलाइन क्लास के साथ ही ऑनलाइन क्लास को भी सामान रूप से जारी करने के निर्देश हैं।