राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की मंजूरी के 48 घंटे बाद मध्यप्रदेश में धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 का अध्यादेश शनिवार से लागू हो गया। गुरुवार को राज्यपाल के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के बाद सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर उसकी प्रति प्रदेश के सभी कलेक्टरों को भेज दी है। इससे पहले शिवराज कैबिनेट के प्रस्ताव को लखनऊ भेजा गया था, जहां गुरुवार को राज्यपाल ने हस्ताक्षर कर दिए थे। हालांकि इसे 6 महीने में विधानसभा से पास कराना होगा।
अब तक यह हुआ
पिछले साल 29 दिसंबर को शिवराज सरकार ने कैबिनेट बैठक में अध्यादेश के ड्राफ्ट को अनुमोदन दे दिया था। अध्यादेश में प्रलोभन, बहलाकर, बलपूर्वक या धर्मांतरण करवाकर विवाह करने या करवाने वाले को एक से 10 साल तक की सजा और अधिकतम एक लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इससे पहले उसे विधानसभा सत्र में लाना चाह रहे थे, लेकिन कोरोना में विधानसभा सत्र रद्द होने के कारण इसे विधानसभा में पेश नहीं किया जा सका था। इसके बाद ही अध्यादेश लाने का निर्णय लिया गया था।
यूपी में भी राज्यपाल आनंदी बेन ने ही मंजूरी दी
मध्यप्रदेश से पहले उत्तरप्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश लाया गया। यहां पिछले साल 26 नवंबर को आनंदी बेन ने ही मंजूरी दी थी। वहां विधानसभा सत्र नहीं होने के कारण अध्यादेश के माध्यम से कानून लागू किया गया, जबकि मध्यप्रदेश में विधानसभा सत्र प्रस्तावित था, लेकिन इसके स्थगित होने के कारण अब इसे अध्यादेश के रास्ते लाया गया है।
कानून के मुख्य प्रावधान
- बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान। यह गैर जमानती अपराध होगा।
- धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा।
- बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है।
- धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता-पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है।
- सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी।
- जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा।
- इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा।
- इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
- अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
- पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक हासिल करने का प्रावधान है।
- आरोपी को ही निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करना होगा।