विक्रम यूनिवर्सिटी की पीएचडी प्रवेश परीक्षा में ओएमआर शीट में काट-छांट कर फेल को किया पास।
उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश परीक्षा-2022 में फर्जीवाड़ा करने पर लोकायुक्त जांच में फंसे राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डा. प्रशांत पुराणिक, विक्रम विश्वविद्यालय का कुलसचिव पद छोड़ने के बाद भी सुर्खियों में हैं। दरअसल विक्रम विश्वविद्यालय की विभागीय जांच समिति ने जिन 12 विद्यार्थियों की ओएमआर शीट में काट-छांट पाई थी, उनका प्रवेश निरस्त करने के लिए कार्य परिषद के अनुमोदनार्थ भेजे प्रस्ताव में से एक विद्यार्थी (गौरव कुमार शर्मा) का नाम, रोल नंबर हटाकर अन्य विद्यार्थी का जोड़ दिया।
कुलपति भी देखकर चौक गए
‘नईदुनिया’ ने बात की पुष्टी करते दस्तावेज vikram univercity के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय को सौंपे तो वे भी देखकर चौंक गए। उन्होंने मामला गंभीर मानते हुए कहा कि वे पूरे प्रकरण की फाइल देखकर आगे कार्रवाई करेंगे। दागी 12 विद्यार्थियों की सूची में गौरव शर्मा का रोल नंबर हटाकर जो रोल नंबर लिखा गया है वो किसका है, ये किसी विद्यार्थी का है भी या नहीं, इसका पता बुधवार को सामने आ जाएगा।
ओएमआर शीट में फेल को कर दिया पास
बता दें कि विक्रम विश्वविद्यालय में PHD 2022 की ओएमआर शीट में कांट-छांट कर अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों को उत्तीर्ण दर्शाने के मामले में 23 जून 2023 को उज्जैन लोकायुक्त पुलिस ने प्रभारी कुलसचिव डा. प्रशांत पुराणिक, सहायक कुलसचिव वीरेन्द्र उचवारे, प्रोफेसर गणपत अहिरवार, पीके वर्मा और वायएस ठाकुर के खिलाफ भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, पदीय कर्तव्य का दुरुपयोग करने, ओएमआर शीट में छेड़छाड़ करने की धाराओं में प्रकरण दर्ज किया था।
12 विद्यार्थियों का एडमिशन कैंसिल करने का प्रस्ताव
प्रकरण दर्ज होने के सात दिन बाद विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक हुई, जिसमें तत्कालीक कुलसचिव डा. प्रशांत पुराणिक की ओर से उन 12 विद्यार्थियों का प्रवेश निरस्त करने का प्रस्ताव दिया गया, जिनकी ओएमआर शीट में कांट-छांट हुई थी। खास बात ये रही कि प्रस्ताव में सिर्फ विद्यार्थियों के रोल नंबर अंकित किए गए थे, नाम नहीं। ऐसे में परिषद के मनोनीत सदस्य भी ये नहीं जान पाए कि विद्यार्थी कौन है।
सबने विधिक राय लेने का सुझाव देकर प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी। बैठक वाले दिन ही डा. पुराणिक अवकाश लेकर चले गए। पांच दिन बाद शासन के आदेश पर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव डा. प्रज्ज्वल खरे विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव का पदभार संभालने आ गए। उन्होंने डा. पुराणिक की अनुपस्थिति में पदभार संभाला और इसी दिन डा. पुराणिक अपने मूल विभाग में सेवा देने चले गए।
मामला शांत पड़ा ही था कि मंगलवार को युवा कांग्रेस के पूर्व सचिव बबलू खिंची ने नईदुनिया को कुछ दस्तावेज मुहैया कराए। दस्तावेजों में एक पत्र वो था, जिसमें पीएचडी कांड की जांच कर रही समिति ने उन 12 विद्यार्थियों के रोल नंबर अंकित किए थे, जिनकी ओएमआर शीट में काट-छांट हुई थी। एक अन्य पत्र वो था, जिसमें परीक्षा पास किए गौरव कुमार शर्मा नामक छात्र को आरएसी के लिए बुलाया था।
नया रोल नंबर जोड़कर भेज दिया
तीसरा पत्र वो था, जो कार्य परिषद के समक्ष अनुमोदन के लिए आया था। यहां ध्यान देने वाली बात यह रही कि गौरव कुमार शर्मा का रोल नंबर 220881 विभागीय जांच समिति की रिपोर्ट में शामिल था, मगर कार्य परिषद के समक्ष भेजे प्रस्ताव में नहीं। प्रस्ताव में नया रोल नंबर 220841 जोड़ दिया गया। ये किसका रोल नंबर है, किसी विद्यार्थी का है भी या नहीं, ये कुलपति ने दस्तावेजों का परीक्षण करने के बाद बताने को कहा है। इधर, डा. पुराणिक से नईदुनिया ने पूरे मामले में बात करना चाही, पर उन्होंने मोबाइल काल रिसिव नहीं किया।
परिषद से अनुमोदित प्रस्ताव पर मैंने अभी हस्ताक्षर नहीं किए : कुलपति
अखिलेश कुमार पांडेय ने नईदुनिया से कहा कि कार्य परिषद से अनुमोदित प्रस्ताव पर मैंने अभी हस्ताक्षर नहीं किए हैं। मैंने पीएचडी फर्जीवाड़ा संबंधी दस्तावेजों की फाइल नहीं देखी थी। मगर जो प्रमाण सामने आए हैं, उनका परीक्षण करने के लिए अब ये जरूरी हो गया है कि फाइल देखी जाए। वैसे भी पूरी फाइल की मूल कापी लोकायुक्त को भेजी जा चुकी है।