MP:रेमडिसिविर व टॉसिलीजुमैब इंजेक्शन मरीजों को खुद ही खरीदना पड़ेगा।

 

 

भोपाल, कोरोना पीड़ित गंभीर मरीजों को लगने वाला रेमडिसिविर व टॉसिलीजुमैब इंजेक्शन मरीजों को खुद ही खरीदना पड़ेगा। मप्र पब्लिक हेल्थ सप्लाई कॉरपोरेशन ने 20 हजार इंजेक्शन खरीदने के लिए टेंडर किया था। कंपनी तय किए 12 दिन हो गए हैं, लेकिन कंपनी को अभी तक खरीदी का आदेश नहीं दिया गया है। ‘नवदुनिया’ ने जब इस संबंध में पड़ताल की तो पता चला कि सरकार ने इस इंजेक्शन की खरीदी से हाथ खींच लिए हैं, लेकिन कोई भी अफसर कुछ बोलने को तैयार नहीं है। रेमडिसिविर इंजेक्शन एक वायल बाजार में 2800 से 3200 रुपए में मिलता है। पांच इंजेक्शन मरीज को लगते हैं। यह इंजेक्शन मरीज अभी खुद खरीद रहे हैं।

अब मरीजों को आगे भी खुद दोनों इंजेक्शन खरीदने पड़ेंगे। प्रदेश में कोरोना का संक्रमण बढ़ने के साथ ही गंभीर मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। इसके बाद भी सरकार ने मरीजों को निश्शुल्क इंजेक्शन देने से हाथ खींच लिए हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु समेत कई राज्यों में वहां की सरकार दोनों इंजेक्शन निश्शुल्क लगवा रही है।

– 2304 रुपए प्रति वायल सप्लाई करने को तैयार थी कंपनी

रेमडिसिविर की सप्लाई के लिए पांच कंपनियां आई थीं। इसमें मायलोन नामक कंपनी का चयन हुआ था। कंपनी यह इंजेशन 2304 रुपए प्रति वायल सप्लाई करने को तैयार थी। चार कंपनियां यह इंजेक्शन बनाती हैं। बाजार में इनके अलग-अलग 2800 से 3200 रुपए रेट हैं।

– अधिकारियों का तर्क

इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का तर्क है कि अभी तक यह साबित नहीं हुआ है कि कोरोना मरीजों में यह इंजेक्शन कितना कारगर है, इसलिए खरीदी नहीं करने का फैसला लिया है। उधर, हकीकत यह है कि कोरोना से संक्रमित डॉक्टर खुद पर यह इंजेक्शन लगवा रहे हैं। हमीदिया अस्पताल में पिछले हफ्ते दो डॉक्टरों के अलावा एक डॉक्टर की पत्नी को रेमडिसिविर इंजेक्शन लगा है। इंजेक्शन का खर्च अस्पताल प्रबंधन ने उठाया है।

पांच हजार वायल टॉसिलीजुमैब इंजेक्शन खरीदने के लिए भी सरकार ने टेंडर किए थे, पर इसमें कंपनी के सामने शर्त रख दी गई कि 21 दिन के भीतर दवा सप्लाई नहीं की तो अर्थदंड लगाया जाएगा। इस वजह से कोई कंपनी टेंडर में शामिल नहीं हुई। 29400 रुपए एक वायल इंजेक्शन बाजार में मिलता है। मरीजों को दो इंजेक्शन लगते हैं।

यह काम करते हैं इंजेक्शन : एलएन मेडिकल कॉलेज में सहायक प्राध्यापक (मेडिसिन) डॉ. आदर्श वाजपेयी ने बताया कि संक्रमण होने के बाद श्वेत रक्त कोशिकाओं से निकलने वाले पदार्थ से सूजन हो जाती है। सूजन कम करने के लिए दोनों इंजेक्शन दिए जाते हैं। कोरोना संक्रमण के चलते 3 से 5 फीसद मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं, जिन्हें यह इंजेक्शन लगाने की जरूरत होती है। प्रदेश में रेमडिसिविर के सप्लायर अजय दुबे ने बताया कि उनके पास पूरे प्रदेश से रोज 60 से 70 फोन इंजेक्शन के लिए आ रहे हैं।

– हमीदिया अस्पताल प्रबंधन ने रद्द किए ऑर्डर

कोरोना के सबसे ज्यादा गंभीर मरीज हमीदिया अस्पताल में भर्ती रहते हैं। डॉक्टरों की सलाह पर हमीदिया अस्पताल प्रबंधन ने 200 इंजेक्शन खरीदने के ऑर्डर अपने स्तर पर सप्लायर को दिए थे, लेकिन आला अधिकारियों के मना करने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने आदेश रद्द कर दिए हैं।

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दोनों इंजेक्शन डॉक्टर की सलाह पर ही मरीजों को लगाए जाते हैं। मरीजों को इंजेक्शन उपलब्ध भी कराए जाते हैं। कई मरीज खुद यह इंजेक्शन लगाने की मांग कर रहे हैं, जिन्हें दिया जाना ठीक नहीं है। कॉरपोरेशन ने खरीदी पर रोक क्यों लगाई है। इस संबंध में अधिकारियों से बात करूंगा।

– डॉ. प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री, मप्र

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