MP:मंडी अधिकारी-कर्मचारी, तुलावटी और हम्माल हड़ताल पर

 

  • पुलिस ने सख्ती कर वल्लभ भवन से पहले विंध्याचल भवन के पास कर्मचारियों को रोका, पुलिस ने मंडी कर्मचारियों को खदेड़ा
  • मंडी मॉडल एक्ट के विरोध में प्रदेशभर से आए कर्मचारियों ने हंगामा किया, धरने पर बैठे, पुलिस ने लाठियां भांजी

भोपाल।  संयुक्त संघर्ष मोर्चा मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड भोपाल द्वारा मंडी अधिनियम 1972 को बचाने एवं वेतन-पेंशन की मांग को लेकर गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी गई है। भोपाल के मंडी बोर्ड आफिस से दोपहर 12.30 बजे से रैली शुरू हो गई, जो वल्लभ भवन जाएगी। मोर्चे के पदाधिकारियों का दावा है कि हड़ताल में मध्य प्रदेश के 9 हजार से अधिक मंडी अधिकारी-कर्मचारी, हम्माल-तुलावटी, व्यापारी व किसान शामिल हैं। इससे मंडियां अनिश्चितकाल के लिए बंद हो गई है। प्रदर्शन कर रहे लोगों के सड़क से नहीं हटने पर पुलिस ने उन्हें सख्ती दिखाते हुए हटाया।

राजधानी में मॉडल मंडी एक्ट का विरोध कर रहे 1 हजार से ज्यादा कर्मचारियों ने वल्लभ भवन का घेराव करने की कोशिश की। पुलिस ने उन्हें पहले समझाने का प्रयास किया। जब वह नहीं माने और नारे लगाकर आगे बढ़ने लगे तो बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज कर दी, जिससे कुक्षी के मंडी कर्मचारी चिमन मंडलोई का दायां हाथ टूट गया। पुलिस कार्रवाई में 15-20 महिला और पुरुष कर्मचारियों को चोटें आईं। पुलिस ने कर्मचारियों, हम्मालों और तुलावटियों को वहां से खदेड़ दिया।मंडी बोर्ड के कर्मचारी मंडी एक्ट संशोधन का विरोध करते हुए गुरुवार को वल्लभ भवन तक पहुंच गए थे। इन्हें विंध्याचल भवन के पास बैरिकेडिंग करके रोक दिया गया। पुलिस के साथ एक कर्मचारी नेता की झूमाझटकी भी हुई। कर्मचारी नारे लगा रहे थे- शिवराज हमसे डरता है। काफी देर तक सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई।

संगठन के संयोजक बीबी फौजदार व प्रांतीय अध्यक्ष अंगिरा प्रसाद पांडे के नेतृत्व में भोपाल में रैली की शुरुआत हुई है। सीहोर, देवास, शाजापुर समेत अन्य जिलों के हम्माल-तुलावटी एवं मंडी-बोर्ड के अधिकारी-कर्मचारी शामिल हुए हैं। हाथों में पोस्टर-बैनर लेकर सभी नारेबाजी कर रहे हैं। हड़ताल में भोपाल की करोंद मंडी के 80 से अधिक कर्मचारी भी शामिल हुए हैं। व्यापारियों ने पहले ही 3 दिन तक खरीदी न करने की बात मंडी समिति को बता दी थी।

 

मंडी कर्मचारियों की मांग
सरकार के मॉडल मंडी एक्ट या अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं। उनकी मांग है कि शासन या मध्य प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड भोपाल हमारे वेतन, भत्ते, पेंशन तय करें। सरकार की नई व्यवस्था से मंडी कर्मचारियों और अधिकारियों को आर्थिक स्थिति से जूझना पड़ेगा। अभी उनका वेतन मंडियों की आय पर निर्भर करता है।

इन सात प्रावधानों पर कानून में संशोधन किया गया

  1. निजी क्षेत्रों में मंडियों की स्थापना हेतु प्रावधान किया गया है।
  2. गोदामों साइलो कोल्ड स्टोरेज आदि को भी प्राइवेट मंडी घोषित किया जा सकेगा।
  3. किसानों से मंडी के बाहर ग्राम स्तर से फूड प्रोसेसर, निर्यातकों, होलसेल विक्रेता व अंतिम उपयोगकर्ताओं को सीधे खरीदने का प्रावधान किया गया है।
  4. मंडी समितियों का निजी मंडियों के कार्य में कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा।
  5. प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड से रेगुलेटरी शक्तियों को पृथक कर संचालक विपणन को दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
  6. पूरे प्रदेश में एक ही लाइसेंस से व्यापारियों को व्यापार करने का प्रावधान किया गया है।
  7. ट्रेनिंग के लिए प्रावधान किया गया है।

9 प्रावधानों में से दो पहले से लागू, 7 को अपनाया गया

भारत सरकार द्वारा एग्रीकल्चर प्रोड्यूस एंड लाइवस्टोक मैनेजमेंट एक्ट 2017 (आईपीएलएम) मॉडल मंडी अधिनियम राज्यों को भेजा गया। इसे अपनाने अथवा प्रचलित अधिनियम में संशोधन का विकल्प दिया गया था। अधिनियम को लागू करने के लिए रोडमैप तैयार करने के उद्देश्य से गठित मुख्यमंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा था कि यदि राज्य अपने मौजूदा मंडी अधिनियम में संशोधन करना चाहते हैं तो उन्हें उसमें आईपीएलएम के प्रावधानों में से कम से कम 7 प्रावधानों को शामिल कर संशोधन करना होगा। मध्यप्रदेश में आईपीएलएम के प्रावधानों में से दो प्रावधान पहले से ही लागू हैं।

 

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