भोपाल। केन्द्रीय मंत्री अमित शाह के नाम से राज्यपाल को फर्जी तरीके से फोन कराने के मामले में गिरफ्तार डेंटिस्ट डॉ. चंद्रेश शुक्ला की कार्यप्रणाली एक शातिर अपराधी की तरह थी। वह सबसे पहले अपने व्यक्तित्व से बड़े अधिकारियों और नेताओं को अपने जाल में फंसाता था। इसके बाद उनसे अपने काम करवाता था। अपनी पहुंच बड़े नेताओं से बताने के लिए वह प्रदेश के बड़े नेताओं से लेकर केन्द्रीय मुलाकात करता था। उनके साथ फोटो खिंचवाकर उसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर देता था। लोग उससे प्रभावित होकर काम बताते थे। वो काम कराने के ठेके लेता। इसके एवज में लोगों से रुपए तक ऐंठने लगा था। अपने प्रभाव से कुछ साल पहले डॉ. शुक्ला ने राजभवन में भी अपना दखल बना लिया था। वो लोगों से मिलता था तो खुद को राज्यपाल का डॉक्टर बताता था। इससे लोग प्रभावित हो जाते थे।
इसके बाद जबलपुर मेडिकल विश्वविद्यालय में कार्यपरिषद सदस्य भी बन गया था। इसके बाद उस पर मेडिकल कॉलेज संचालकों को परेशान करने और रुपए मांगने के आरोप लगने लगे थे। लेकिन, उसका लालच यही खत्म नहीं हुआ। वह फर्जी तरीके से मेडिकल विश्वविद्यालय का कुलपति बनकर और ज्यादा रुपए कमाना चाहता था। लेकिन राज्यपाल लाल जी टंडन की सजगता के चलते उसका पूरा खेल खत्म हो गया।
डॉ. शुक्ला चर्चा में बने रहने के लिए कुछ अलग करता था। जैसे उसने अपनी शादी राजधानी के बड़े होटल से की और उसमें दिव्यांग बच्चों को आमंत्रित किया था। इसी तरह उसने साकेत नगर में डेंटल वर्ल्ड के नाम से दांतों का आलीशान अस्पताल बनाया था।
प्रदेश में भाजपा सरकार रहने तक डॉ. शुक्ला खुद को भाजपा का कट्टर समर्थक बताता था। खुद को वह आरएसएस के बड़े नेताओं का भी नजदीकी बताता था। इसके बाद जैसे ही भाजपा सरकार गई और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई तो उसने कांग्रेस मंत्रियों से नजदीकी बढ़ानी शुरू कर दी। उसकी पत्नी जबलपुर की है और एक मंत्री से परिचय है। इस कारण डॉ. शुक्ला ने भी मंत्री से नजदीकियां बना ली थी। इसके जरिए वह कांग्रेस सरकार में भी अपनी पैंठ बनाने में लगा था। इसी तरह डॉ. शुक्ला ने कुछ दिनों पहले इंदौर के एक ऑटोमोबाइल शोरूम से महंगी लग्जरी एसयूवी गाड़ी की बुकिंग की थी। इसकी डिलीवरी दस दिनों बाद होनी थी। इस कार की कीमत करीब एक करोड़ रुपए बताई जा रही है।
स्टेट डेंटल काउंसिल के सदस्यों के लिए करीब आठ महीने पहले हुए चुनाव में चंद्रेश शुक्ला ने गड़बड़ी की थी। इसके बाद हाल ही में डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य के लिए प्रदेश में हुए चुनाव फर्जी मतपत्र छपाकर बांटने का मामला आया था। मप्र डेंटल काउंसिल के प्रेसीडेंट डॉ. देशराज जैन ने इसकी शिकायत कई जगह की थी, लेकिन चंद्रेश ने अपने प्रभाव के दम पर दबा दिया था। खुद को हाई प्रोफाइल बताने के लिए देश-विदेश में डेंटिस्टों की कांफ्रेंस में भी भाग लिया था। मप्र डेंटल काउंसिल के नियमों के अनुसार सजा होने पर चंद्रेश शुक्ला का डेंटल काउंसिल से पंजीयन निरस्त कर दिया जाएगा।