Corona: कई लोग घर से ही नहीं निकले, फिर भी हो गए शिकार

 

कान्ट्रेक्ट हिस्ट्री की खोज करने प्रशासन को हाथ लगे तथ्य- घर में काम करने वाले भी कारण बने

इन्दौर। व्यापक तैयारियों और कोशिशों के साथ ही लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराने के बावजूद इंदौर शहर में फैले संक्रमण को लेकर चिंता में आए प्रशासन ने कान्ट्रेक्ट हिस्ट्री पता लगाने की कोशिश की तो कई संक्रमित मरीजों के बारे में पता चला कि वे घर से बाहर ही नहीं निकले, फिर भी संक्रमण का शिकार हो गए। इन लोगों में कुछ घर की महिलाएं तो कुछ वृद्धजन भी शामिल थे। इन लोगों से जानकारी के दौरान ही पता चला है कि लॉकडाउन के दौरान कुछ लोगों के घरों में सब्जियां आईं तो खुला दूध भी इन्होंने उपयोग में लिया। इसके अलावा घर में काम करने वाले लोगों की आवाजाही भी संक्रमण का कारण नजर आई।
इंदौर शहर में वैसे तो लॉकडाउन 22 और उसके बाद 25 अप्रैल से लागू हो गया था, लेकिन उसे प्रभावी तरीके से लागू करने की शुरुआत 2 अप्रैल से हुई और 4 अप्रैल को ही नवागत कलेक्टर मनीषसिंह ने दूध वितरण पर भी रोक लगा दी, लेकिन दिनभर लोगों द्वारा जमकर आक्रोश दिखाने और जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप के बाद उसी दिन शाम को दूध वितरण की घोषणा करना पड़ी और शाम को ही लोगों, खासतौर पर महिलाओं ने लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाते हुए दुकानों पर भीड़ लगाकर दूध हासिल किया। उस दिन के बाद से जहां दूध वितरण आवश्यक वस्तुओं में शामिल होकर बंट रहा है, वहीं साग‑सब्जियां भी चोरी-छिपे घरों में पहुंच रही हैं। आलम यह है कि घर की महिलाएं जहां सब्जियों के लिए आतुर नजर आती हैं, वहीं पुरुष दिनभर घर में बैठे सब्जियों की जुगाड़ करते हैं और सब्जियां हासिल करने को अपनी जीत मानते हैं। इसी क्रम में कई बार घरों से निकलकर वो बस्तियों में जा पहुंचते हैं तो कहीं चोरी-छिपे गलियों में घूमते उन सब्जी वालों से सब्जियां खरीद लेते हैं, जिन्हें वे जानते तक नहीं हैं।
लोगों की इसी ललक के चलते कई घरों में सब्जियों के साथ संक्रमण पहुंच जाता है, क्योंकि सब्जियां कई हाथों से गुजरकर घरों तक पहुंच रही हैं। इसी तरह दूध भी ग्वालों द्वारा नंगे हाथों से निकाला जाता है और टंकियों से लेकर घरों तक पहुंचते-पहुंचते वह कई हाथों के स्पर्श से गुजरता है। ऐसे में यदि एक भी संक्रमित व्यक्ति दूध पहुंचाने की प्रक्रिया में शामिल रहा तो वह कई लोगों को संक्रमित कर सकता है। इसके अलावा अभी भी कई लोगों के घरों में काम करने वालों का आना-जाना बरकरार है। ऐसे लोग भी संक्रमण को आमंत्रण दे रहे हैं और फिर जब उनके घर का कोई व्यक्ति संक्रमित होकर अस्पताल जाता है तो उनके समझ में नहीं आता है कि वे कैसे कोरोना के शिकार हुए। हाल ही में खजराना गणेश मंदिर के पुजारी की कान्ट्रेक्ट हिस्ट्री में भी एक घरेलू नौकर और एक सब्जी देने वाला संक्रमण का कारण नजर आया।
दूध लेते ही उसे उबालें, पैकिंग वाले दूध की थैलियां पहले धोएं, फिर खोलें
दूध के संक्रमण से खुद को बचाने के लिए खुला दूध घर में आने के बाद उसे उबालें और जिस पतीले में दूध लाया गया है, उसे भी अच्छी तरह साफ करें। यदि दूध पैकिंग वाली थैली में लाया गया है तो पहले थैली को धोएं और उसके बाद उसे खोलें। कच्चा दूध किसी भी सूरत में काम में न लाएं।
सब्जियां सोड़े के पानी से धोएं
सब्जियां लाने के बाद उसे घर के आंगन में ही रखकर पहले पानी में खाने का सोड़ा डालकर उसे कुछ घंटों पड़े रहने देंं। फिर उसके बाद दो बार साफ पानी से धोएं। इसके अलावा उन सब्जियों से परहेज करंे, जिनका छिलका नहीं होता है। छिलके वाली सब्जियों का छिलका उतरने के बाद उसमें संक्रमण के अलावा अन्य जीवाणुओं या कीटनाशक दवाइयों का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है। प्रयास करें कि फिलहाल भाजियों जैसे मैथी, पालक, कोथमीर का उपयोग न करें।
घरेलू काम करने वालों से सावधानी
घर में काम करने वालों से भी सावधानी बरतना आवश्यक है। यदि घर में काम करने वाले महिला-पुरुष बाहर से आते हैं तो घर में प्रवेश के पहले उनके हाथ‑पैर धुलवाकर उन्हें आने दें और किचन में तो प्रवेश ही न करने दें। कुछ दिनों के लिए घर के पुरुष और महिलाएं ही किचन का काम करें तो बेहतर होगा।

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