ब्रह्म मुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों ?

*ब्रह्म मुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों ?* रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार…

पहली बार प्रयागराज महाकुंभ में हिंदू कर सकेंगे दर्शन,

*भारत स्वतंत्र हुआ, पर कैद ही रह गया पुराणों का अक्षयवट: पहली बार प्रयागराज महाकुंभ में हिंदू कर सकेंगे दर्शन, अकबर का लगाया प्रतिबंध मोदी राज में हटा* *अक्षयवट का…

स्वाति की बूँदें”

  L {ब्रह्मलीन श्रद्धेयस्वामीरामसुखदासजी महाराज} --- :: x :: ---   पोस्ट—१०४   * हमने शरीरके साथ सम्बन्ध मान रखा है, तभी मृत्युका भय लगता है | शरीरके साथ हमने…

जीवन मे कठिन परिस्थिति की पाठशाला ही वास्तविक शिक्षा देती है

_✒जीवन मे कठिन परिस्थिति की पाठशाला ही वास्तविक शिक्षा देती है। व्यक्ति को बुरे कर्मों की वजह से ही दुख नही मिलते कई बार हद से ज्यादा अच्छे होने की…

कुम्भ स्नान का विशेष तिथियों से संयोग होना विशेष महत्त्व रखता है

कुम्भ दिव्य स्नान   कुम्भ स्नान का विशेष तिथियों से संयोग होना विशेष महत्त्व रखता है। इन संयोग के दिनों को शाही स्नान कहा जाता रहा है ‌ यहां शाही…

भविष्य के हरेक काम में सन्देह है, पर मरने में कोई सन्देह नहीं है |

_   अभी आपके पास सब कुछ है, फिर भी भविष्य के लिए आप धन चाहते हैं। यदि आपको भविष्य का विचार करना ही है तो फिर अधूरा विचार क्यों…

शाकाहार_और_मांसाहार. : दोनों के भ्रम से बचें । 

#सभी_सनातनधर्मावलम्बी_ध्यान_दें -   #शाकाहार_और_मांसाहार. : दोनों के भ्रम से बचें ।   यज्ञशिष्टाहार का प्रसार करें -----------   सनातन धर्म में नास्तिकता को प्रश्रय नहीं मिलना चाहिये । मांसाहार और…

जानें तीर्थ यात्रा के नियम ओर लाभ

#तीर्थयात्रा_की_शास्त्रोक्त_विधि   हमारे धर्म एवं संस्कृति में तीर्थयात्रा का बड़ा महत्व है, कहते है, तीर्थयात्री के लिए कुछ भी वस्तु अलभ्य नही है । वह जो चाहे, वह सबकुछ पा…

अगले वर्ष हैं 2 चंद्रग्रहण, भारत में एक नज़र आएगा जबकि दूसरा अदृश्य होगा

    अगले वर्ष दुनिया में दो चन्द्र ग्रहण होगे। पहला भारत में अदृश्य रहेगा जबकि दूसरा भारत पर प्रभाव छोड़ेगा.... 🔸पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को ::: साल 2025…

आनंदमय जीवन का नींव ।

_   जहाँ प्रेम होता है वहाँ परमात्मा भी जीव के बस में हो जाते हैं। प्रेम में अद्भुत सामर्थ्य है। चाहे केवट के आगे हो, चाहे शबरी के आगे…