साइंटिफिक-एनालिसिस: नया “संसद-भवन” अपनी जगह परन्तु देश “गुलाम मानसिकता” से आजाद हो

सेन्ट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के नाम से 10 दिसम्बर 2020 को भूमिपूजन के साथ शुरू हुये नये संसद-भवन, केन्द्रीय सचिवालय, सम्भावित नये उपराष्ट्रपति-भवन व प्रधानमंत्री आवास में अब तक 26,045…

ताकत लगी घटने तो खैरात लगी बंटने

  श्रीगोपाल गुप्ता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमों ममता बनर्जी अपने अख्खड़पन और दो टूक कहने के लिये जानी जाती हैं! स्वभाव से बड़ी जिद्दी और…

जय हो 181 की/सीएम हेल्पलाइन और उसका पुण्य प्रताप.

  प्रदेशभर में सीएम हेल्पलाइन ने अद्भुत कार्य किया है। सरकारी कर्मचारी सभी प्रमुख कार्यों को छोड़कर इसे बंद कराने में लगे रहते हैं। अन्यथा वरिष्ठ अधिकारी उन्हें अर्थदंड, सजा देने…

कर्नाटक: कांग्रेस के प्रति अति दुराग्रह का परिणाम?

  तनवीर जाफ़रीकर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम आ चुके हैं। स्वयं को अजेय समझने वाली भारतीय जनता पार्टी जो सत्ता में वापसी की बाँट जोह रही थी बुरी तरह धराशायी हो…

कमल के लिए खाद नहीं बन सकता कर्नाटक का कीचड़

कमल के लिए खाद नहीं बन सकता कर्नाटक का कीचड़ रास्ते में कीचड़ से सामना हो जाना भले ही अच्छा न लगने वाला मामला हो। काम तो उससे भी लिया…

साइंटिफिक-एनालिसिस: अंधेरी नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा ..

  महाराष्ट्र सरकार की उठा-पटक पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित पांच न्यायाधीशों की बैंच का फैसला सुन महाराष्ट्र नहीं देश की जनता को भी इसी कहावत का सत्यापन…

तीन हिस्से में बंटी भाजपा, शिवराज भाजपा, महाराज भाजपा व नाराज भाजपा

  *✍️विकास तिवारी* रीवा। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्य सभा सदस्य दिग्विजय सिंह एक दिवसीय प्रवास पर रीवा पहुंचे। जहां उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि भाजपा 3…

ये कैसा तंत्र जो लाशों के ढेर देखकर भी पसीजता नही, न कार्रवाई करता

_आये दिन होते हादसों पर क्या किसी को भी कोई फर्क नही पड़ रहा?_ --------------------------------------------- *सरकार है क्या? सिस्टम है क्या?* --------------------------------------------- _ये कैसा तंत्र जो लाशों के ढेर देखकर…

कुलीनों के कुनबे में ऐसी कलह

  दीपक जोशी के साथ कांग्रेस कार्यालय होकर आई स्वर्गीय कैलाश जोशी की तस्वीर का तो पता नहीं लेकिन जोशी जी की आत्मा को हुए कष्ट का अंदाज लगाया जा…

न्यू इंडिया में सामाजिक दरारें चौड़ी होती जा रही हैं, सत्तारूढ़ राजनीति, व्यापक ज़रूरी मुद्दों पर बहस या सभ्य सिविल संवाद को लगभग असंभव बना रही है…

-अशोक वाजपेयी: इधर एक नया भारत बनाने का दावा बहुत क्रूर और नृशंस ढंग से कुछ शक्तियां करने लगी हैं. उनका दावा यह भी है कि एक एकनिष्ठ, ग़ैर-समावेशी भारत,…