नर्मदापुरम। ड्राइवर की हत्या के आरोपित सरकारी चिकित्सक डा सुनील मंत्री को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 25 गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपित को सजा सुनाई गई। हत्या व साक्ष्य छुपाने का दोष सिद्ध हुआ है। आरोपित डाक्टर को आजीवन करावास के साथ ही 15 हजार रुपये का अर्थदंड भी किया गया है। जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने बताया कि घटना 4 फरवरी 2019 की है फरियादी लक्ष्मीनारायण द्वारा बताया गया कि उसका लड़का वीरेंद्र उर्फ वीरू पचौरी उसकी पत्नी रानी बाई के साथ जुमेराती नर्मदापुरम में रहता था। डा सुनील मंत्री के यहां वह ड्राइवरी करता था।
पहले मेरी बहू रानी बाई भी वहीं काम करती थी। चार फरवरी 2019 की शाम करीबन चार बजे मेरी बहू रानी बाई ने फोन करके बताया कि वीरू का फोन नहीं लग रहा है। आपके यहां आए है क्या, तब फरियादी ने कहा कि नहीं आया है बोले कि कहीं गाड़ी लेकर गया होगा आ जाएगा। पांच फरवरी 2019 को रानी बाई ने फोन करके बताया कि अभी भी वीरू नहीं आया है, तब फरियादी, भतीजे पंकज और अभिषेक के साथ करीबन एक बजे डा सुनील मंत्री से पूछने उनके घर गए, किंतु डाक्टर ने अच्छे से बात नहीं की और बहस करके हमें भगाने लगे। तभी वहां पर टीआइ एवं स्टाफ आ गए थे।
पत्नी ने जताई थी आशंका
हमने पुलिस को वीरू के गायब होने के संबंध में बताया था और डाक्टर साहब पर शक जाहिर किया था। जिस पर टीआइ ने डा सुनील मंत्री के घर में तलाशी ली थी। ऊपर के एक कमरे में रखे नीले रंग के प्लास्टिक के ड्रम में पानी जैसा भरा था। जिसमें से एसिड की बदबू आ रही थी। उसमें मेरे लड़के वीरू का कटा सिर और पैर, धड़ जैसा दिख रहा था। वही बगल में बने बाथरूम में बायां पैर कटे हुए हिस्से तथा तीन आरी और एक लोहा काटने की आरी भी पड़ी दिखी थी। ड्रम में पड़े सिर, चेहरे के हिस्से को देखकर वीरू उर्फ वीरेंद्र को पहचाना। वीरू उर्फ वीरेंद्र का सुनील मंत्री ने किसी बात को लेकर मार डाला और लाश के टुकड़े को गलाने के लिए ड्रम में एसिड डाल दिया है।
पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया था
रिपोर्ट मजमून पर आरोपित डा सुनील मंत्री का कृत्य अपराध धारा 302, 201 भादवि का पाया। थाना कोतवाली पर असल अपराध 108-2019 पर कायम कर विवेचना में लिया गया। प्रकरण में संपूर्ण विवेचना उपरांत आरोपित डा सुनील मंत्री के विरुद्ध अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से 25 गवाहों के कथन कराए गए व प्रकरण संपूर्ण परिस्थिति जन्य साक्ष्य होकर डीएनए रिपोर्ट वैधानिक साक्ष्य के आधार पर दोषी पाया गया।
न्यायालय हिमांशु कौशल द्वितीय अपर सेशन न्यायाधीश नर्मदापुरम के समक्ष विचारण में अभियोजन के साक्षियों को परीक्षित कराया गया। अभियोजन के साक्षियों की साक्ष्य से एवं जिला अभियोजन अधिकारी के द्वारा दिये गये तर्को से सहमत होकर आरोपित सुनील मंत्री को हत्या व साक्ष्य छुपाने का दोषी पाया गया व सजा सुनाई गई। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा एवं अरूण कुमार पठारिया, सहायक जिला अभियोजन अधिकारी जिला.नर्मदापुरम द्वारा सशक्त पैरवी की गई।
कोर्ट ने जघन्य हत्याकांड माना
आरोपित सुनील मंत्री के कृत्य को जघन्य माना गया। आरोपित ने हत्या में प्रयुक्त आरी व एसिड को शहर की एक दुकान से खरीदा था। देश के बहुचर्चित मामले के आरोपित की पेशी भी जेल से कराई जाती थी। वारदात के दौरान आरोपित डाक्टर इटारसी के सरकारी अस्पताल में पदस्थ था। जिले के प्रसिद्धा हड्डी रोग विशेषज्ञ के तौर पर पहचाना जाता था। जिस तरह से वारदात को अंजाम दिया गया था उससे लोग दहशत में थे।