जस्टिस यशवंत वर्मा के घर के  अंदर का वीडियो सुप्रीम कोर्ट ने किया  जारी, 4-5 बोरियों में थे अधजले नोट

 

साथ ही इस मामले से जुड़ी दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है और इसके साथ ही ⁠जस्टिस वर्मा का जवाब भी सार्वजनिक कर दिया गया है मामले से जुड़े दस्तावेज भी वेबसाइट पर डाले गए हैं.

इसके साथ ही तीन तस्वीरें भी जारी की गई हैं। इसमें 500 रुपए के जले हुए नोटों के बंडल दिखाई दे रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि 14 मार्च को जस्टिस के घर आग लगने के बाद फायर ब्रिगेड की टीम वहां पहुंची थीं। आग पर काबू पाने के बाद 4-5 अधजली बोरियां मिलीं, उनके अंदर नोट भरे हुए थे।

उधर, रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा का पक्ष भी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जिस स्टोर रूम में नोटों की गड्डियां मिलने की बात की जा रही है, वहां उन्होंने या उनके परिवार ने कभी कोई पैसा नहीं रखा। वो एक ऐसी खुली जगह है, जहां हर किसी का आना जाना होता है। उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है।

CJI संजीव खन्ना के 3 सवाल

घर के परिसर में मिले इतने कैश को जस्टिस वर्मा कैसे जस्टिफाई करेंगे?

जितनी भी रकम मिली है, जस्टिस वर्मा यह भी बताएं कि उसका सोर्स क्या है?

15 मार्च की सुबह किस व्यक्ति ने जले हुए नोटों को कमरे से हटाया था?

CJI के 3 आदेश

जस्टिस वर्मा के घर सिक्योरिटी ऑफिसर्स और गार्ड की डिटेल्स भी दी जाए।

पिछले 6 महीने में जस्टिस वर्मा की ऑफिशियल और पर्सनल कॉल डिटेल निकाली जाए।

जस्टिस वर्मा से अपील की जाती है वो अपने मोबाइल से मैसेज या डेटा डिलीट न करें।

जस्टिस वर्मा की सफाई- इसमें जो दिखा, ये वैसा नहीं, जैसा मैंने देखा था

जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को सौंपे जवाब में कहा- 14/15 मार्च की रात बंगले के स्टाफ क्वार्टर के पास स्टोर रूम में आग लगी। कमरा पुराने फर्नीचर, बोतलें, क्रॉकरी, गद्दे, बागवानी उपकरण, सीपीडब्ल्यूडी की सामग्री रखने के लिए इस्तेमाल होता था। कमरा खुला रहता था। इसमें स्टाफ क्वार्टर के पिछले दरवाजे से भी जा सकते थे। यह मेरे मुख्य आवास से अलग था।

घटना के दिन, पत्नी और मैं भोपाल में थे। मेरी बेटी और वृद्ध मां घर पर थीं। मैं 15 मार्च की शाम पत्नी के साथ दिल्ली लौटा। आग लगने के बाद आधी रात को बेटी और निजी सचिव ने दमकल विभाग को फोन किया।

आग बुझाने के दौरान, सभी स्टाफ और मेरे घर के सदस्यों को सुरक्षा कारणों से घटनास्थल से दूर रहने को कहा गया था। आग बुझाने के बाद वे वहां गए, तो उन्हें वहां कोई नकदी या पैसे नहीं मिले।

मैंने और न मेरे परिवार के किसी सदस्य ने कभी उस स्टोर रूम में नकदी रखी। यह राशि मेरी नहीं है।

15 मार्च की शाम दिल्ली लौटने पर आपका पहला फोन आया था। आपके आग्रह पर आपके पर्सनल प्रोटोकॉल सेक्रेटरी भी घटनास्थल गए। वहां कोई नकदी नहीं मिली। यह बात उस रिपोर्ट से भी स्पष्ट है, जो मुझे सौंपी गई है।

अगले दिन अदालत शुरू होने से पहले आपने पहली बार वह वीडियो और तस्वीरें दिखाईं, जो आपसे पुलिस आयुक्त ने साझा थीं। इन वीडियो को देखकर मैं स्तब्ध रह गया क्योंकि इसमें दिखाया गया दृश्य उस स्थल से मेल नहीं खा रहा था, जिसे मैंने स्वयं देखा था। इसी कारण मैंने पहली बार यह कहा था कि यह मुझे फंसाने और मेरी छवि धूमिल करने की साजिश प्रतीत होती है।

घटना ने मुझे यह विश्वास दिलाया है कि यह केवल षड्यंत्र का हिस्सा है, जो दिसंबर 2024 में सोशल मीडिया पर मेरे खिलाफ लगाए गए निराधार आरोपों से जुड़ा हो सकता है।

मैं आरोप को नकारता हूं कि हमने स्टोर रूम से नकदी हटाई। हमें कभी कोई जली हुई नकदी नहीं दिखाई गई और न ही हमें जली हुई नकदी दी गई। वहां से केवल कुछ मलबा हटाया गया।

एक जज के लिए उसकी प्रतिष्ठा और चरित्र से बढ़कर कुछ नहीं होता। यह घटना मेरी वर्षों की मेहनत और साख को नुकसान पहुंचाने वाली है।

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