जब आधी दुनिया का सम्राट जार्ज पंचम देवरहा बाबा के कदमों पर गिर पड़ा

*जब आधी दुनिया का सम्राट जार्ज पंचम देवरहा बाबा के कदमों पर गिर पड़ा*

 

पहले विश्व युद्ध के पहले तक आधी से ज्यादा दुनिया पर अंग्रेजों का राज था तब कहावत थी कि अंग्रेजो के साम्राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता यानी सूरज जहां भी जाता है धरती पर वहां कहीं ना कहीं अंग्रेजों का साम्राज्य जरूर होता है लेकिन इतने बड़े अंग्रेजी साम्राज्य का सबसे बड़ा सम्राट जॉर्ज पंचम देवरहा बाबा से मिलने के लिए खुद गया था जबकि उस वक्त भारत ही नहीं दुनिया की बड़ी-बड़ी रियासतें और राजवाड़े जॉर्ज पंचम से 2 मिनट की मुलाकात के वक्त के लिए भी तरसते थे ।

 

बहुत सारे गणमान्य लोग बाबा से मिलने आ आते थे यह बात 1911 की है जब इंग्लैंड में बने हुए नए-नए सम्राट जार्ज पंचम अपनी पत्नी मेरी के साथ भारत भ्रमण को आए थे !

 

दिल्ली में भव्य दरबार का आयोजन होना था वह आयोजन तय था और उसी समय जब जार्ज पंचम भारत में आए तो वे बाबा से मिलने गए जार्ज पंचम बताते हैं कि वे अपने छोटे भाई से यह पूछकर आए थे कि भारत में मैंने सुना है कि बहुत से संत और महात्मा होते हैं मैं वहां जाऊं तो किससे मिलूं तब उनके छोटे भाई और अन्य अफसरों ने यही बताया कि भारत में अनेक महापुरुष हैं लेकिन यदि किसी एक से मिलना हो तो आप देवराहा बाबा से अवश्य मिलिए वे वास्तव में चमत्कारी हैं

 

एक और इंग्लिश पत्रकार बताते हैं कि जब वे कुंभ मेले में पत्रकारिता करने आए थे तो वे पहली बार बाबा के पास गए पहली बार जब वो बाबा के पास गए तो उनके मन में उत्सुकता थी कि आखिर एक बूढ़े सन्यासी को सुनने के लिए इतने सारे लोग कैसे आ सकते हैं लेकिन वे लिखते हैं कि जब उन्होंने पहली बार बाबा के मुंह से आशीर्वचन सुने तो उन्हें आश्चर्य हुआ कि यह वही बातें थी जो.जगह-जगह लिखी रहती हैं जो हमेशा ही सुनी जाती हैं लेकिन फिर भी यह बाबा के श्रीमुख से निकलने के बाद एक अलग प्रभाव छोड़ती हैं तो 1911 में जार्ज पंचम जब भारत आए तो अपने छोटे भाई के कहे अनुसार वे देवराहा बाबा से मिलने के लिए गए और वहां जाकर उनकी देवराहा बाबा से क्या बातचीत हुई यह तो आज तक अज्ञात है !

 

उसके बाद भी अनेक अंग्रेज अधिकारी बाबा से मिलने के लिए आते जाते रहे और साथ ही साथ अनेक स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी भी बाबा से आशीर्वाद लेने आते क्योंकि देवराहा बाबा एक.आध्यात्मिक व्यक्ति थे इसलिए उनके दरवाजे पर कोई भेदभाव नहीं था कोई भी अंग्रेज. अफसर हो या कोई भी इस्लाम का मानने वाला हो या कोई भी हिंदू हो कोई भी बाबा के यहां आ सकता था !

 

 

बाबा खुद से कहते हैं कि कई मुस्लिम लोग भी उनके अनुयाई हैं और उनकी बात को मानने वाले हैं ऐसे बहुत सारे मुसलमान धीरे-धीरे हिंदू भी बन गए, जब बाबा का.साक्षात्कार लेने वाले एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि बाबा आपकी उम्र कितनी है आप खुद ही बताइए तो बाबा ने कहा था कि मेरी उम्र जहां भी लिखना ईश्वर लीन लिखना यानी कि मेरी उम्र की कोई गणना नहीं है मैं तो ईश्वर में लीन हूं और फिर जो व्यक्ति ईश्वर में लीन हो गया हो जो ईश्वर को पा लिया हो उसके लिए उम्र तो महज एक संख्या है

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