* *‘‘यदि तुमने सचमुच वीरता का बाना पहन लिया है,तो तुम्हें सब प्रकार की कुर्बानी के लिए तैयार रहना चाहिए।क्या यह शर्म की बात नहीं कि कांग्रेस के 21 साल के कार्यकाल में एक भी ऐसा राजनीतिक संन्यासी पैदा नहीं कर सकी,जो देश के उद्धार के लिए सिर और धड़ की बाजी लगा दे.*
* *’’1905में उ.प्र.के वाराणसी में हुए कांग्रेस के अधिवेशन में लाला लाजपतराय ने वहां पर लोगों की अन्तर्रात्मा को झकझोर दिया।इससे अंग्रेजों की जी हुजूरी करने वाली कांग्रेस में एक नये दल का उदय हुआ, जो”गरम दल”के नाम से प्रख्यात हुआ। फिर इसमें महाराष्ट्र के बाल गंगाधर तिलक और बंगाल से विपिन चन्द्र पाल भी शामिल हो गये।इस प्रकार ये लाल,बाल,पाल की त्रयी प्रसिद्ध हुई*🙏
* *”लाला जी का जन्म पंजाब के फिरोजपुर जिले के एक गाँव में28जन.1865″को हुआ.*
* *लाला जी ने कलकत्ता विश्व.वि.से फारसी की.पंजाब विश्व.वि.से अरबी,उर्दू एवं भौतिक शास्त्र की परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं.*
* *1885 में कानून की डिग्री लेकर हिसार में वकालत करने लगे। उन दिनों पंजाब में आर्यसमाज का बहुत प्रभाव था। लाला जी भी उससे जुड़कर देशसेवा में लग गये।*
* *उन्होंने हिन्दू समाज में फैली वशांनुगत पुरोहितवाद,छुआछूत, बाल विवाह जैसी कुरीतियों का प्रखर विरोध किया।वे विधवा विवाह,नारी शिक्षा,समुद्रयात्रा आदि के प्रबल समर्थक थे।*
* *लाला जी ने युवकों को प्रेरणा देने वाले जोसेफ मैजिनी,गैरीबाल्डी शिवाजी,श्रीकृष्ण,महर्षि दयानन्द की जीवनियाँ भी लिखीं.*
* *1905 में अंग्रेजों द्वारा किये गये बंग भंग के विरोध में लाला जी के भाषणों ने पंजाब के घर-घरमें देशभक्ति की आग धधका दी।लोग उन्हें”पंजाब केसरी”कहने लगे।तब शासन ने दमनचक्र चलाते हुए भूमिकर व जलकर में भारी वृद्धि कर दी।लाला जी ने इसके विरोध में आन्दोलन किया। आंग्ल शासन ने उन्हें 16मई1907 को ही गिरफ्तार कर लिया।*
* *लाला जी ने-1908 में इंग्लैण्ड,1913में जापान,और अमरीका की यात्रा की। वहाँ बुद्धि जीवियों के सम्मुख भारत की आजादी का पक्ष रखा।*
* *पंजाब उन दिनों क्रान्ति की ज्वालाओं से तप्त था।क्रान्तिकारियों को भाई परमानन्द तथा लाला लाजपतराय से खूब सहयोग मिलता था।*
* *अंग्रेज शासन इससे चिढ़ते थे।उन्हीं दिनों लार्ड साइमन भारत के लिए कुछ नये प्रस्ताव लाया।लाला जी भारत की पूर्ण स्वाधीनता के पक्षधर थे।उन्होंने उसका प्रबल विरोध किया.*
* *30 अक्टू.1928 को लाहौर में साइमन कमीशन के विरोध में एक भारी जुलूस निकला।पंजाब केसरी लाला जी शेर की तरह दहाड़ रहे थे।यह देखकर पुलिस कप्तान स्कॉट ने लाठीचार्ज करा दिया।उसने स्वयं लाला जी पर कई वार किये.लाठीचार्ज में बुरी तरह घायल होने के कुछ दिन बाद ही-17नवंबर1928 को लाला जी का देहान्त हो गया.
उनकी चिता की पवित्र भस्म माथे से लगा क्रान्तिकारियों ने इसका बदला लेने की प्रतिज्ञा ली। ठीक एक महीने बाद भगतसिंह और उनके मित्रों ने पुलिस कार्यालय के बाहर ही स्कॉट के धोखे में सांडर्स को गोलियों से भून दिया। सादर वंदन.सादर नमन🙏*