अब भारतीय क्रिकेटर अधिक दिनों तक टूर के दौरान अपने परिवार या गर्ल फ्रेंड को साथ नहीं रख सकेंगे 

अब भारतीय क्रिकेटर अधिक दिनों तक टूर के दौरान अपने परिवार या गर्ल फ्रेंड को साथ नहीं रख सकेंगे

 

 

भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों को BCCI ने बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है. BCCI ने खिलाड़ियों के परिवार के लिए कुछ नियम बनाए हैं. वो अब पूरे दौरे तक खिलाड़ियों के साथ नहीं रह पाएंगे. रिपोर्ट्स की मानें तो BCCI की मीटिंग में चर्चा हुई है कि खिलाड़ियों की पत्नी और परिवार पूरे दौरे पर उनके साथ नहीं रहेगा. अगर दौरा 45 दिन का है तो खिलाड़ियों की फैमिली या पत्नी उनके साथ 14 दिन तक ही रह पाएंगी.अगर दौरा छोटा हुआ तो परिवार 7 दिन से ज्यादा नहीं रह पाएगा. सवाल ये है कि BCCI ने ये सब करने का फैसला क्यों किया है? आखिर BCCI को खिलाड़ियों के करीबियों से क्या दिक्कत आ गई?

BCCI दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है ऐसे में खिलाड़ियों के परिवार पर खर्च होने वाला पैसा उसके लिए कोई दिक्कत वाली बात नहीं है लेकिन सबसे बड़ी प्रॉब्लम है लॉजिस्टिक्स. जी हां खिलाड़ियों के परिजन जब उनके साथ पूरे दौरे पर होते हैं तो उनका ख्याल रखने की पूरी जिम्मेदारी भी BCCI की होती है. खिलाड़ियों के साथ उनके बाहर आने-जाने का पूरा ख्याल BCCI को रखना पड़ता है. ये जिम्मा टीम इंडिया के साथ जुड़े मैनेजर्स का होता है.

 

यहां सबसे बड़ी बात ये है कि खिलाड़ियों का ख्याल रखना आसान है लेकिन उनके परिवार वालों को मैनेज करना थोड़ा मुश्किल होता है. इसका उदाहरण साल 2020 में देखने को मिला था जब ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारतीय खिलाड़ियों के परिवारों को संभालने में BCCI के पसीने छूट गए थे. उस दौरे पर टीम इंडिया के खिलाड़ी, सपोर्ट स्टाफ के अलावा परिजन भी थे और ये संख्या 40 से ज्यादा की थी. ऐसे में उनके लिए दो बसें भी कम पड़ रही थीं. साथ ही खिलाड़ियों के परिवार के लिए मैच टिकट का इंतजाम करना भी भारी पड़ रहा था. 2019 वर्ल्ड कप के दौरान भी BCCI अधिकारियों को ये दिक्कत हुई थी. लंबे दौरों पर अगर खिलाड़ी के परिवार साथ होते हैं तो कुछ और चीजें भी देखी जाती हैं. जैसे पत्नी-गर्लफ्रेंड अगर दौरे पर साथ रहें तो खिलाड़ी फ्री वक्त में उनके साथ ही नजर आते हैं. वो उनके साथ ही घूमने और बाहर निकल जाते हैं. टीम बॉन्डिंग के लिए जरूरी है कि खिलाड़ी साथ में घूमने जाएं साथ में इंजॉय करें लेकिन परिवार के साथ ऐसा नहीं हो पाता. परिवार साथ हों तो खिलाड़ी ज्यादा खुलकर बात कर सकते हैं. बेरोक-टोक एक दूसरे के कमरे में जा सकते हैं. परिवार की सूरत में हिचकिचाहट संभव है. खिलाड़ी का ध्यान पूरी तरह खेल पर लगाए रखने के लिए ये फैसला सही साबित हो सकता है. दुनिया की कई बड़ी टीमें बड़े टूर्नामेंट्स या मुकाबलों से पहले इस तरह के फैसले लेती हैं. मुमकिन है कि BCCI ने भी ये फैसला चैंपियंस ट्रॉफी को देखकर लिया हो▪️

Shares