*आखिरकार नग्नता और गुंडई को सबक देने की शुरुआत हुई*
राजेन्द्र के.गुप्ता :
*ये नीचता ही थी, थोड़ी सी ऊंची आवाज में बात करने पर, एक हिस्ट्रीशीटर से पार्षद बने गुंडे के अहंकार ने, दूसरे पार्षद के पुत्र को नंगा नहीं किया था, अपनी नग्नता दिखाई थी, जिस पर देर से ही सही, पार्टी से बाहर निकालने की कार्यवाही से एक्शन की शुरुआत तो हुई*
*इंदौर अहिल्या बाई की नगरी है, यहां के निवासी किसी भी ऐसी गलत हरकत का पुरजोर विरोध करते है, फिर भले ही गलत करने वाला अपने आपको कितना भी ताकतवर क्यों ना समझ रहा हो*
*जीतू ने जैसे तैसे अपनी छवि सुधार कर या गब्बर का साथ पा कर, पार्षदी पा ली थी किंतु चरित्र में वहीं नग्नता/गुंडई भरी थी, जो सामने आ गई, अन्यथा इतना अभिमान नहीं होता की अपनी ही पार्टी के पार्षद के पूरे परिवार को भयाक्रांत कर दे*
*जिसने भी वीडियो देखा जीतू जैसे नेता की नग्नता को कोसा*
*नाबालिग को जबरन नंगा करने के साथ, उसकी मां, पिता को भी नंगा करने की धमकी का जवाब पूरे शहर ने दिया है*
*पूरा शहर एक स्वर में नजर आया, मीडिया ने पूरे दम से अपनी जिम्मेदारी निभाई*
*बस जो जिम्मेदार नेता बनते है, वो ही देर से जागे और अपनी छवि बचाते नजर आने का पूरा अभिनय किया, किसी ने भी उस दंभ से बात नहीं कही जो दंभ वो अफसरों को दिखाते रहते आए है!*
*खैर जुलूस निकलने के असली हकदार तो गैंग का सरदार ही है, तभी छूट भईये गुंडे भय खाएंगे अन्यथा छूट भईये गुंडे पैदा होते रहेंगे, छूट भईये गुंडों में संदेश जाना चाहिए कि उनके भिया का ही जुलूस निकल जाता है…..*
*वर्ना यह संदेश जा रहा है कि सिंघम तो फिल्मों में ही होते है… वास्तविकता में बड़े गुंडों के आगे तो सभी नतमस्तक होते है….*
*जेल में सुविधाएं नहीं मिलना चाहिए, जमानत होना नहीं चाहिए, अब गुंडों के पूरे परिवार को पीड़ा झेलना चाहिए क्योंकि उन्होंने भी गुंडई करने से रोका नहीं*
पढ़ते रहें, इसी तरह जागते रहें….