निराशाजनक वैश्विक परिदृश्य के बीच देश की अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसे के चलते भारतीय बाजारों के प्रति विदेशी निवेशकों का आकर्षण बना हुआ है.
एफपीआई का यह सकारात्मक रुख अगले साल यानी 2024 में भी जारी रहने की उम्मीद है.
*2023 में अबतक FPI का कुल निवेश दो लाख करोड़ से अधिक रहा*
१. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस साल अबतक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है.
२. इसके अलावा डेट मार्केट या बॉन्ड बाजार में भी उन्होंने लगभग 60,000 करोड़ रुपये डाले हैं.
३. कुल मिलाकर उनका निवेश दो लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है.
४. आगे चलकर अगले साल होने वाले आम चुनाव के बीच राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक वृद्धि विदेशी निवेशकों के लिए प्रमुख मुद्दा रहेगी.
५. इसके अलावा वैश्विक स्तर पर महंगाई दर और ब्याज दर परिदृश्य भारतीय शेयरों में विदेशी प्रवाह की दिशा तय करेगा.
६. अपनी मजबूत आर्थिक वृद्धि के साथ भारत एफपीआई के आकर्षण का केंद्र बना रहेगा.
७. एफपीआई ने 2021 में शेयरों में शुद्ध रूप से 25,752 करोड़ रुपये, 2020 में 1.7 लाख करोड़ रुपये और 2019 में 1.01 लाख करोड़ रुपये डाले थे.
८. 2022 में विदेशी निवेशकों का प्रवाह काफी हद तक अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित बाजारों में महंगाई दर और ब्याज दर परिदृश्य, मुद्रा के उतार-चढ़ाव, कच्चे तेल की कीमतों, भू-राजनीतिक परिदृश्य और घरेलू अर्थव्यवस्था की सेहत जैसे कारकों से प्रेरित था.
९. भारत एफपीआई के लिए शीर्ष निवेश गंतव्य है. वैश्विक निवेशक समुदाय के बीच यह आम राय है कि आगामी वर्षों में सतत वृद्धि की दृष्टि से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत की स्थिति सबसे बेहतर है.
१०. हालांकि कई आर्थिक मामलों के जानकार इस बात का विरोध करते हुए कहते हैं कि यह देशी काला धन है जो विदेशों से एफपीआई के रूप में देश में लाया जा रहा है ताकि आर्थिक आंकड़ों को बेहतर ढंग से रखा जा सके.
*यदि इस विरोध को मान भी लिया जावें तो भी इसमें कोई शक नहीं रुपए २ लाख करोड़ का विदेशी निवेश भारतीय बाजारों में तथ्यात्मक रूप से हुआ है. साथ ही राजनीतिक स्थिरता, बेहतर आर्थिक मानक, मंहगाई दर पर नियंत्रण और लोगों का बाजार के प्रति सकारात्मक रुख दर्शाता है कि हमारी अर्थव्यवस्था में काफी जान है एवं नई उंचाई छूने की कोशिश अच्छे नीति निर्धारण से की जा सकती है.*
*सीए अनिल अग्रवाल