शिवराज जी क्या आपके बच्चे 08 रूपये में नाश्ता भी कर पायेंगे?

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शिवराज जी तुम्हारी फाईलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर यह आंकड़े झूठे, ये दावे किताबी हैं

भोपाल, 01 अक्टूबर 2023,

शिवराज सिंह के नेतृत्व में 18 साल की भाजपा सरकार में बच्चे बौने पैदा होने लगे, यह कांग्रेस नहीं कह रही है, ये पोषण ट्रैकर और जन अभियान आंदोलन पोर्टल की रिपोर्ट कह रही है। शिवराज जी आप ही ने तो कहा था कि ‘‘कुपोषण मेरे माथे पर कलंक हैं’’ फिर वह कलंक अभी तक साफ क्यों नहीं हुआ, कलंक लगातार बढ़ क्यों रहा है?
प्रदेश के 66 लाख बच्चों में 6 साल तक के 51 प्रतिशत बच्चे बौने क्यों हैं, जबाव देना होगा? ये बच्चे आने वाले कल के भाग्य विधाता हैं। अगर इन बच्चों का बचपन ही कुपोषित होगा तो मामा शिवराज इनकी बीमार जवानी मप्र के कैसे काम आयेगी। आपके राज में बच्चों का शरीर बढ़ने के बजाय बौना क्यों होता जा रहा है। ऐसा लगता है कि मामा की आंख का पानी मर गया है? आपको माओं की गोद में रोते बिलखते बच्चे नहीं दिख रहे हैं? क्या आपका दिल नहीं पसीज रहा है या आपको दृष्टिदोष हो गया है।
पत्रकार साथियो, कुछ बिन्दु हैं जो मैं आपके सम्मुख रखना चाहता हूं:-
1. आज ही पोषण ट्रेकर की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि मप्र में 66 लाख बच्चों में 6 साल तक के 51 प्रतिशत बच्चे बौने हैं।
2. आये दिन बच्चे कुपोषण से मर रहे हैं। सतना के तेदुखेंड़ा में दो सप्ताह पूर्व एक बच्ची की कुपोषण से मृत्यु हुई है।
3. श्योपुर में डेढ़ साल की बच्ची की अगस्त माह में कुपोषण से मृत्यु हुई।
4. शिवपुरी में कुपोषण से दो आदिवासी बच्चियों की जान गई।
5. सागर में 7 बच्चों की कुपोषण से मृत्य हुई।
यह लिस्ट बहुत लंबी है। पिछले आठ माह में मप्र में 31 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित पाये गये हैं। जिसमें 21 हजार से बच्चे ज्यादा गंभीर रूप से कुपोषित हैं और विडंबना देखिए कि सितम्बर माह देश भर में पोषण माह बनाया गया। क्या ‘‘हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और है।’’
एक तरफ तो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय मप्र को कुपोषण मुक्त राज्य बनाने में बजट की कमी न होने देने का दावा करता हैं, वहीं दूसरी और प्रत्येक आंगनबाड़ी को मात्र 125 रूपये दिया जाता है। एक जिले को मात्र 13 हजार रूपये दिये जाते हैं जबकि जरूरत 08 लाख रूपये की है। मामा 08 लाख की जगह सिर्फ 13 हजार रूपये? इसी बात से आपकी सरकार की गंभीरता का पता चलता हैं। सरकार के विज्ञापनों में करोड़ों रूपये खर्च और बच्चों के लिए इतनी छोटी रकम? शिवराज जी श्योपुर में टेक होम राशन स्कीम भी आप बंद कर चुके हैं, गरीब जिला है क्या खायेगा?
महंगाई की दर 44 प्रतिशत बढ़ गई है और पोषण आहार की राशि जस की तस। वर्ष 2017 में हर बच्चे के लिए मात्र 8 रूपये का बजट। शिवराज जी आपके बच्चे तो विदेश में पढ़ते हैं, क्या आपके बच्चे आठ रूपये में नाश्ता भी कर पायेंगे? कुछ आंकड़े पुस्तत हैं: 30 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में मां का बजन करने वाली और 10 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों का वजन करने वाली मशीन उपलब्ध ही नहीं है।
2017 में मप्र शिशु मृत्यु दर में देश में पहले स्थान पर था और मातृत्व मृत्यु दर में तीसरे स्थान पर था। बावजूद इसके टेक होम राशन स्कीम में लगातार घोटाला होता रहा। लाभार्थियों की पहचान में पोषण की वस्तुओं के उत्पादन में, परिवहन में, वितरण प्रणाली में और क्वालिटी कंट्रोल में, सब की सब चीजों में घोटाला हुआ है। ऑडिट रिपोर्ट में सरकार को यह भी निर्देशित किया गया है कि स्वतंत्र एजेंसी द्वारा घोटाले की जांच करायें। उस रिपोर्ट को भी शिवराज सरकार दबा कर बैठ गई और कोई जांच नहीं करवाई।
मैं अपनी बात एक शेर के माध्यम से समाप्त कर रहा हूं ‘‘तुम्हारी फाईलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर यह आंकड़े झूठे, ये दावे किताबी हैं, तुम्हारी मेज चांदी की, जुम्हारे जाम सोने के, मगर कुपोषित गरीब बच्चों के घर में आज भी फूटी रकाबी है।’’

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