“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता”

• नारी का मान/अपमान:———-
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बात करे आधुनिक नारी की तो अंग प्रदर्शन करा कर उसके नारीत्व का अपमान किया जा रहा है ।नारी के अंग प्रदर्शन की बात करे तो उसके शरीर को बाजारु दुनिया ने पूरी तरह से बेआबरु कर छोड़ा है और इससे भी हैरान करनी वाली बात, महिलाएँ इस मानसिकता का शिकार हो खुद को अधनग्न बनाने वाले पोशाकों से फैशन आइकान बनने की होड़ में नैतिकता और आदर्शों को कुचल,सुसंस्कारी ,सौम्य,सभ्य कहलाये जाने के बजाय सेक्सी और हॅाट कहलाने में गौरवान्वित होती हैं।आज बाज़ार स्त्री के शरीर को बिकाऊ और वस्तु बना कर परोस रही है और महिलाएं भी अपने शरीर की बोली लगवाने में पीछे नहीं ।
पेपर,पत्रिकाओं,नेट साइट्स,पोर्न साइट्स,फैन्स क्लब या फोन पर दोस्ती के आने वाली कॉल और मैसेज में महिलाओं के प्रयोग का प्रतिशत सर्वाधिक होता है। ऐसी आधुनिकता और खुलापन का समर्थन करने वाले इन हालातों में अपनी बहन ,बेटियों का जाना पसंद करेंगे ????? अगर होंगे भी तो सरफिरे विरले ही होंगे ।
क्या छोटे शहर क्या बड़े…… आधुनिकता के नाम पर जमकर अश्लीलता का प्रचार किया जा रहा है ।पाँचसितारा होटल ,बार,रेस्तरां में शराब परोसना आज फैशनिया समाज का हिस्सा बन चुका है सेक्स वर्कर को कानूनी अनुमति देने की ओर पहल की जा रही है अगर ऐसा हुआ तो यकीनन समाज में नग्नता का खुला खेल होगा जिसमें सबसे ज्यादा दुर्गति स्त्री जाति की होगी । आधुनिक युवा महिलाएं छोटे -छोटे कपड़े पहन नशा कर डिस्को में पुरुष दोस्तों के साथ अश्लीलता और अभद्रता की हदें पार कर नारी यौवन ,नारी सौंदर्य को तार – तार कर अपमानित कर रही हैं ,और ऐसे आधुनिक समाज में इन सब के विरोध में आवाज उठाने वाला पिछड़ी मानसिकता का और दकियानूसी कहलाता है ।

विनोद प्रसाद भट्ट
माण्डो उत्तरकाशी उत्तराखंड

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