महाकाल के पारंपरिक पूजन के अलावा शिवलिंग को हाथ से घिसना, रगड़ना प्रतिबंधि

 

*महाकाल ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए पुजारी, पुरोहितों की जिम्मेदारी तय*

उज्जैन। महाकाल मंदिर में ज्योतिर्लिंग को क्षरण रोकने के लिए मंदिर समिति ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के अनुपालन में गाइड लाइन जारी की है। समिति ने मंदिर के पुजारी, पुरोहित की जिम्मेदारी तय करते हुए कहा है कि पारंपरिक पूजन के छोड़कर शिवलिंग को हाथ से रगड़ना या घिसना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया जाता है। श्रद्धालु भी ऐसा ना करे इसकी जिम्मेदारी पाट पर बैठने वाले पुजारी व पुरोहितों तथा उनके प्रतिनिधियों की रहेगी।

आदेश का पालन नहीं करने वाले पुजारी, पुरोहितों के प्रति अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा ज्योतिर्लिंग क्षरण को रोकने के लिए पहले से ही व्यापक कदम उठाए जा रहे हैं। मंदिर समिति समय-समय पर निर्देश जारी करती रही। इस बार जिम्मेदारी तय करते हुए सख्त आदेश दिए गए हैं।

*शृंगार में तीन किलो से ज्यादा भांग का उपयोग नहीं होगा*
समिति ने कहा कि भगवान महाकाल की पूजा-अर्चना में कंकू, अबीर, गुलाल शुद्ध व केमिकल रहित हर्बल सामग्री का उपयोग किया जाए। महाकाल गर्भगृह क्षेत्र का स्वच्छ एवं सूखा रखा जाए। गर्भगृह में पॉलीथिन के उपयोग पर भी पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया गया है। मंदिर समिति ने भगवान महाकालेश्वर के शृंगार में उपयोग की जाने वाली भांग की मात्रा को भी एक्सपर्ट कमेटी के सुझाव के अनुसार निर्धारित कर दिया है। समिति ने कहा कि भगवान महाकाल के शृंगार में तीन किलो से अधिक भांग का उपयोग नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि इस तरह के निर्देश पूर्व में भी जारी हुए थे।

*शिवलिंग को सूती वस्त्र से पूरा ढंक कर चढ़ाए भस्मी*
मंदिर समिति ने भस्म आरती में भगवान महाकाल को अर्पित की जाने वाली भस्मी को लेकर भी निर्देश जारी किए हैं। समिति ने निर्देश दिए कि भस्म आरती में भगवान महाकाल को भस्म अर्पित करने से पहले ज्योतिर्लिंग को शुद्ध सूती वस्त्र से पूरा ढंका जाए, इसके बाद ही भस्म अर्पित करें। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञों की टीम ने भी यही सुझाव दे रखा है।

*चांदी व जल द्वार से गर्भगृह में प्रवेश करें पुजारी, पुरोहित*
समिति ने गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित रहने के दौरान भीतर जाने के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किए हैं। गर्भगृह में प्रवेश बंद रहने पर पुजारी, पुरोहित व उनके प्रतिनिधि तथा कर्मचारी चांदी अथवा जल द्वार से गर्भगृह में जाएंगे। उक्त सभी के नंदी हॉल से सीधे गर्भगृह में जाने पर प्रतिबंध रहेगा। क्योंकि नंदी हाल से सीधे गर्भगृह में जाने से दर्शन बाधित होते हैं। गणेश मंडपम् में खड़े भक्त ठीक से दर्शन नहीं कर पाते हैं।

*शिवलिंग का धातु के पात्र से स्पर्श ना करें*
भगवान महाकाल को जल अर्पण करते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि धातु का पात्र शिवलिंग को स्पर्श ना करें। साथ ही निर्धारित जल पात्र ही गर्भगृह में ले जाए जाएं। आमतौर पर देखा जाता है कि कुछ पुजारी कैतली, बाल्टी, तांबे के छोटे घंडे लेकर गर्भगृह में प्रवेश कर जाते हैं।

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