पति को तलाक दिए बिना पत्‍नी रहने लगी बॉयफ्रेंड के साथ, कोर्ट से मांगी सुरक्षा तो पड़ी फटकार

हाईकोर्ट ने इस याचिका पर हस्तक्षेप से इनकार करते हुए युवती से तल्ख लहजे में कहा कि हम आंखें बंद कर आपके कृत्य पर मोहर नहीं लगा सकते। कोर्ट में युवती की तरफ से दलील दी गई थी कि पति से तलाक का आवेदन कोर्ट में लंबित है। वह अपने बॉयफ्रेंड के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही है। उसके बावजूद भी पति उसे प्रताड़ित कर रहा है।
बता दें कि श्योपुर जिले की रहने वाली मोनिका यादव नाम की एक 23 साल की शादीशुदा युवती ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, मोनिका ने हाईकोर्ट में आवेदन लगाते हुए पति और परिजनों से जान का खतरा बताया और सुरक्षा की गुहार लगाई।

मोनिका ने कोर्ट से कहा कि वह इन दिनों अपने बॉयफ्रेंड के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रही है। लेकिन उसका पति और परिवार वाले लगातार प्रताड़ित कर रहे हैं। उसे इन सभी लोगों से जान का खतरा बना हुआ है. लिहाजा उसे पति और परिवार के खतरे से बचाने के लिए पुलिस सुरक्षा की जरूरत है। हाईकोर्ट ने मोनिका के इस आवेदन को पहली नजर में खारिज कर दिया। 

मोनिका ने कोर्ट को बताया कि कुछ महीनों पहले उसकी शादी शिवपुरी जिले के बदरवास निवासी विजेंद्र यादव के साथ हुई थी, लेकिन वैचारिक मतभेद और विवाद के चलते उनका रिश्ता लंबे समय तक नहीं चल सका। विवाद के बाद दोनों के रिश्ते में खटास आ गया और फिर वह पति को छोड़ अपने मायके आ गई थी।

पारिवारिक विवाद के चलते उसने पति से तलाक के लिए कुटुंब न्यायालय में आवेदन लगाया है। तलाक का यह आवेदन कुटुंब न्यायालय में लंबित है। इस पर सुनवाई होगी। अब वो अपना जीवन अपने बॉयफ्रेंड के साथ बिताना चाहती है, लेकिन उसका पति और परिवार वाले उसे लगातार प्रताड़ित कर रहे हैं और इन लोगों से उसे जान का भय बना हुआ है।

कोर्ट ने कहा- आपके कृत्य पर मोहर नहीं लगा सकते
मोनिका की तरफ से दायर की गई याचिका में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला भी दिया गया था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि लिव-इन में रहने वाले कपल को जान का खतरा हो तो पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए। मोनिका की इस दलील पर सरकारी वकील ने आपत्ति जताते हुए तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश कपल पर लागू होता है।

पति से बिना तलाक लिए बॉयफ्रेंड के साथ लिव-इन में रहने वाली युवतियां द्वारा बेवजह पति पर आरोप लगाकर सुरक्षा की मांग करना उचित नही है। आखिर में हाईकोर्ट ने मोनिका यादव की याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और एक तल्ख टिप्पणी भी की कि हम आंखें बंद करके आपके कृत्यों पर मोहर नहीं लगा सकते।

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