भोपाल। हाई कोर्ट के सख्त रवैये के बाद भी प्रदेश के नर्सिंग कालेजों में गड़बड़ी नहीं रुक रही है। वर्तमान सत्र में प्रदेश के नर्सिंग कालेजों के निरीक्षण में 31 में डुप्लीकेट फैकल्टी (शिक्षक) मिले हैं। यानी एक शिक्षक का नाम एक से अधिक कालेज में दर्ज मिला है।

निरीक्षण करने वाली टीम ने फैकल्टी की यूनिक आइडी के आधार पर इसकी पहचान की है। इनमें 10 कालेजों पर मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने 10-10 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।

काउंसिल ने कालेजों को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कालेजों की मान्यता समाप्त की जा सकती है।

काउंसिल के अधिकारियों ने बताया कि कुछ कालेज ऐसे भी हैं, जिनके यहां से फैकल्टी छोड़कर दूसरे संस्थान में चला गया है। कालेज प्रबंधन ने इसकी सूचना काउंसिल को नहीं दी।

इस कारण उन पर दो लाख रुपये अर्थदंड लगाया गया है। उल्लेखनीय है कि नर्सिंग कालेजों में गड़बड़ी को लेकर ला स्टूडेंट एसोसिएशन के विशाल बघेल ने पिछले वर्ष हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी।

एसोसिएशन ने कोर्ट के माध्यम से नर्सिंग काउंसिल से कालेजों के दस्तावेज प्राप्त किए। इनका परीक्षण किया गया है। इसमें कुछ फैकल्टी तो ऐसे मिले थे जिनका नाम 10 से भी अधिक कालेजों में दर्ज था। एसोसिएशन के ओर से कोर्ट को भी यह जानकारी दी गई।

सीबीआइ जांच में भी मिल रही गड़बड़ी
हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ प्रदेश के 364 कालेजों की जांच कर रही है। सीबीआइ की जांच में भी कई कालेजों में खूब गड़बड़ियां मिल रही हैं। कालेजों में शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं किया जा रहा है। कालेजों में मानक के अनुसार न तो लेक्चर हाल है, न ही लैब है। सीबीआइ को भी डुप्लीकेट फैकल्टी कालेज मिले हैं। कालेजों में पुस्तकालय भी नहीं हैं।