प्रधानमंत्री जी आईए, मप्र भाजपा सरकार की नाकामी की सारी रिपोर्ट भी साथ लाईए


भोपाल, 26 जून, 2023,


देश के प्रधानमंत्री जी कल 27 जून 2023 को  झीलों की नगरी भोपाल पधार रहे हैं। याद कीजिए, पिछली यात्रा में प्रधानमंत्री जी ने उज्जैन आकर महाकाल लोक का लोकार्पण किया था। महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग की अलौकिक सत्ता में जिस प्रकार भाजपाई सत्ता की सरपरस्ती में पाप हुआ है उससे प्रधानमंत्री जी बेहद व्यथित होंगे। महाकाल लोक में न सिर्फ सप्तऋषियों की मूर्तियां खंडित हुई हैं, अपितु 11 से अधिक और अलौकिक मूर्तियां खंडित हुई हैं। प्रधानमंत्री जी मप्र भाजपा सरकार को इस दुष्कृत्य के लिए मन से माफ नहीं करेंगे।
प्रधानमंत्री जी से हम आग्रह करते हैं कि आप जब मप्र आ रहे हैं तो प्रदेश भाजपा सरकार की असफलता, अकर्मण्यता, अराजकता की जो रिपोर्ट खुद केंद्र सरकार ने जारी की है, वे साथ लेकर आयें और मप्र भाजपा सरकार को सच का आईना दिखायें।

मप्र की गरीबी की कहानी-मोदी जी की जुबानी:-
नीति आयोग के अध्यक्ष स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने बताया कि मप्र देश के सर्वाधिक गरीबी वाले श्रेणी के चार राज्यों में शुमार है। प्रधानमंत्री जी के नीति आयोग ने 12 सूचकांकों के आधार पर देश भर के राज्यों की गरीबी का मूल्यांकन किया, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, स्टेंडर्ड ऑफ लिविंग, जिसके तहत बच्चों के पोषण की स्थिति, प्रदेश में शिक्षा का स्तर, स्वास्थ्य की सुविधाएं, सैनिटेशन ड्रिकिंग वॉटर, इलेक्ट्रिसिटी, लोगों के पास संपत्ति इत्यादि मापदण्ड शामिल हैं।
दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि मोदी जी ने बताया कि मप्र देश के सबसे गरीब चार प्रांतों में से एक हैं। मप्र की 36.65 प्रतिशत आबादी उपरोक्त 12 सूचकांकों के आधार पर बेहद गरीब है। ग्रामीण मप्र में तो 45.96 प्रतिशत आबादी बेहद गरीब है।
मोदी जी ने बताया कि इसमें भी मप्र के आदिवासी बाहुल्य जिले जैसे अलीराजपुर में 71.31 प्रतिशत लोग गरीब हैं, झाबुआ में 68.86 प्रतिशत, बड़वानी में 61.60 प्रतिशत, डिंडौरी में 56.23 प्रतिशत, सीधी में 52.68 प्रतिशत, सिंगरौली में 51.92 प्रतिशत, मप्र के 26 जिलों के 40 प्रतिशत से अधिक लोग मोदी जी की रिपोर्ट के अनुसार भीषणतम गरीबी को भोग रहे हैं।

सुनिए, केंद्र सरकार की बात-कैसे आदिवासी भाईयों पर
भाजपा ने किया आघात:-

बीते दिनों सागर के सुरखी में गरीबों को दिये गये पीएम आवास को रौंदने का किस्सा सबको ज्ञात है। भाजपा सरकार का कहना था कि लोग वनभूमि पर बसे हुये थे और लोगों का कहना था कि हम 50 वर्षों से वहां रह रहे हैं। केंद्र की कांग्रेस सरकार आदिवासी भाईयों की आजीविका और उनके वनों में रहने का अधिकार सुनिश्चित करते हुये वनाधिकार अधिनियम-2006 लेकर आयी थी, जिसमें वर्ष 2005 से पूर्व से वनों में रह रहे जनजाति समूदायों और अन्य पांरपरिक वनवासियों के रहने और आजीविका का अधिकार सुनिश्चित किया गया था। मगर दुर्भाग्यपूर्ण है कि मप्र में 2006 से 31 मार्च, 2023 तक 6,27,513 व्यक्तिगत और सामूदायिक वनाधिकार पट्टों के लिए आदिवासी भाईयों ने आवेदन किया, मगर मप्र भाजपा सरकार ने 3,22,699 अर्थात 53 प्रतिशत आदिवासी भाईयों के पट्टे निरस्त कर उन्हें दरबदर की ठोकरें खाने को मजबूर कर दिया।

जानिए, मप्र में कैसे स्कूली शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है:-

बीते कई वर्षों से हम समाचारों की सुर्खियों में देख रहे हैं कि कैसे बच्चांे के स्कूलों की ड्रेस, उनके पोषण आहार में भीषणतम भ्रष्टाचार किया जा रहा है। साथ ही मोदी सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एज्युकेशन एंड लेटरेसी ने बताया कि मप्र के 52 प्रतिशत अर्थात 52,888 शासकीय स्कूलों में बिजली का कनेक्शन तक नहीं है। मप्र में वर्ष 2015-16 में 121976 स्कूल थे जो 2022 में घटकर 92695 रह गये हैं। अर्थात बीते पांच-छह सालों में 29281 स्कूल बंद हो गये हैं। इसी दौरान स्कूली शिक्षकांे की संख्या 40437 कम हो गई है और प्रदेश के सरकारी स्कूलों में वर्ष 2015-16 में 10360550 विद्यार्थी एनरॉल थे, जो वर्ष 2022 में घटकर 9429734 रह गये हैं अर्थात इस दौरान एनरॉल मंे 930816 विद्यार्थियों की कमी आयी है।

मप्र के किसानों की बदहाली-पॉर्लियामेंट्री कमेटी की जुबानी:-

मोदी सरकार की संसदीय समिति की 46 वीं रिपोर्ट मंे दिसम्बर 2022 में यह बताया कि मप्र देश के उन चार राज्यों में शामिल है, जिसमें 2015-16 की तुलना में किसानों की आमदनी बढ़ने की बजाय कम हो गई। मप्र में 9740 रूपये से घटकर किसानों की आमदनी 8339 रूपये हो गई। वहीं मोदी सरकार के एनएसएसओ की एक और रिपार्ट ने यह खुलासा कि किसानों की औसत आय 27 रूपये प्रतिदिन रह गई है।
मोदी सरकार के कृषि मंत्रालय ने यह भी खुलासा किया है कि मप्र में 2022-23 मंे अप्रैल-जुलाई में किसान सम्मान निधि की ग्यारहबी किस्त के बाद अगस्त-नवम्बर की बारहवी किस्त में मप्र के 350895 किसानों को इसके लाभ से वंचित कर दिया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा-देश की सांस्कृतिक राजधानी मप्र बना अपराधियों का गढ़:-
मोदी सरकार ने बताया कि मप्र भाजपा सरकार में 2021 तक आईपीसी के 3987873 अपराध हुये हैं, जिसमें 38242 हत्या, 59039 बलात्कार, 67467 अपहरण, 331051 जघन्य अपराध हुये हैं। इस रिपोर्ट में यह भी खुलासा होता है कि जब भाजपा की सरकार राज्य में आयी थी तो महिला अपराध के 7000 मुकद्में लंबित थे, जो आज बढ़कर 104212 हो गये हैं अर्थात 88.8 प्रतिशत पेंडेंसी है। महिला अपराधों में कन्विक्शन का रेट मात्र 33.5 प्रतिशत है। लंबे समय तक बलात्कार और अपराध में नंबर वन रहने वाला प्रदेश अब संज्ञान योग्य बाल अपराध में भी नंबर वन है और प्राईम रेट भी सबसे अधिक है।

मोदी सरकार बता रही है कि मप्र का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बीमार है:-

बीते दिनों मोदी सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मध्यप्रदेश की वर्तमान आबादी के हिसाब से ग्रामीण क्षेत्र में हेल्थ के सब सेंटर 14270 होना चाहिए, मगर हैं मात्र 10189 अर्थात 4081 सबसेंटर्स की कमी है। अर्थात 29 प्रतिशत सब सेंटर कम हैं। इसी प्रकार पीएचसी होनी चाहिए 2287 और उपलब्ध है, 1234 अर्थात 1053 की कमी है। अर्थात 46 प्रतिशत कम। इसी प्रकार सीएचसी होनी चाहिए 571 और उपलब्ध हैं 295 अर्थात 276 कम है अर्थात 48 प्रतिशत की कमी। सर्जन सीएचसी पर चाहिए 295 उपलब्ध हैं 06, अर्थात 289 की कमी। ओबी एंड गायनालाजिस्ट सीएचसी पर चाहिए 295,  उपलब्ध है 22, खाली है  273, फिजिशियन सीएचसी पर चाहिए 295, उपलब्ध हैं 5, 290 खाली, पिड्रियाटीशंस चाहिए 295, उपलब्ध है 10,  285 की कमी। एनेस्थेसिस्ट चाहिए 295 उपलब्ध 7, 288 की कमी, आई सर्जन  चाहिए 295, उपलब्ध है 00  कमी 295 , जनरल ड्यूटी मेडिकल आफीसर चाहिए 590, और 215 की कमी है। पेरामेडिकल स्टॉफ, डिस्ट्रिक हास्पिटल पर चाहिए 14404 और कमी है 5512 की, सबडिस्ट्रिक हास्पिटल पर चाहिए 7937 और कमी है 6427 की।

आयुष्मान भारत, किसान, गौमाता, अनुसूचित जाति कल्याण, सबके साथ भाजपा सरकार का बुरा बर्ताव:-
मोदी सरकार की केंद्र प्रायोजित योजना में किसान कल्याण तथा कृषि विकास में मप्र भाजपा सरकार ने 61 प्रतिशत राशि 2022-23 में खर्च ही नहीं की। इसी प्रकार पशुपालन एवं डेयरी में मात्र 2 प्रतिशत राशि खर्च की गई। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना अर्थात आयुष्मान भारत, जिसके कार्ड कल प्रधानमंत्री जी वितरित करेंगे, उस योजना में 2022-23 में मात्र 19.12 प्रतिशत राशि खर्च की गई। इसी प्रकार अनुसूचित जाति कल्याण विभाग में केंद्र प्रायोजित योजना मंे मात्र 6.52 प्रतिशत राशि खर्च की गई।
प्रधानमंत्री जी से आग्रह है कि आप जब 27 जून को भोपाल आयें तो अपने साथ उपरोक्त सभी रिपोर्ट साथ लायें और मप्र भाजपा सरकार को उनकी नाकामियों पर फटकार लगायंे।

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