उज्जैन में भगवान महाकाल के नवनिर्मित महालोक में गत 28 मई को हुए “महाध्वंस” को लेकर मध्यप्रदेश सरकार भले ही यह कह रही हो कि भगवान के परिसर में कोई भ्रष्टाचार नही हुआ!लेकिन अब जो तस्वीरें सामने आ रही हैं वे यह बता रही हैं कि “सरकार” सच नही बोल रही है।
इस बीच दिल्ली से खबर आई है कि उसकी “तीसरी आंख” खुल रही है। वह पूरी दुनियां में बदनामी की वजह बने इस “महाध्वंस” की तह तक जाना चाहती है।उसे राज्य सरकार की बात पर भरोसा नहीं है।इसलिए वह पूरे मामले की जांच खुद करा रही है।
लोक कल्याण मार्ग के सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार इस मामले की बहुस्तरीय जांच करा रही है।इसको लेकर उसके कई विभागों में हलचल है।बताया गया है कि इस मामले से सीधे जुड़े संस्कृति मंत्रालय ने अपने स्तर पर जांच कराने का फैसला किया है।खुद संस्कृति मंत्री इस मामले को देख रहे हैं।
वहीं गृह मंत्रालय भी इस मामले की तहकीकात करा रहा है।जानकारी के मुताबिक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की निगरानी में उज्जैन रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है।
इसके अलावा खुद पीएमओ अपने चैनल से जांच करा रहा है।सूत्रों के मुताबिक सभी जांचें अलग अलग होंगी।
दरअसल इस घटना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को काफी विचलित कर दिया है।मात्र साढ़े सात महीने पहले ही उन्होंने करीब 350 करोड़ की लागत से बने महाकाल के महालोक परिसर के पहले चरण का उद्घाटन किया था।पूरी दुनियां में बसे भारतीय इस परिसर को लेकर खासे उत्साहित थे।
लेकिन 28 मई 2023 को आई एक छोटी सी आंधी ने इस महालोक को तहस नहस कर दिया।सबसे दुखद पहलू यह था कि उसी दिन पीएम ने दिल्ली में बहुचर्चित नए संसद भवन परिसर का उद्घाटन किया था।इस घटना के चलते संसद भवन तो पीछे रह गया और महाकाल का महालोक पूरी दुनियां में छा गया।बनारस में भव्य काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनवाने वाले पीएम के लिए यह क्षुब्ध और निस्तब्ध करने वाली घटना थी।भगवान की मूर्तियों में हेराफेरी ने उन्हें विचलित कर दिया है।
मध्यप्रदेश सरकार ने इस मामले में जिस तरह की प्रतिक्रिया दी और किसी भी तरह की जांच कराने से साफ इंकार किया, उससे पीएम काफी नाखुश हैं।मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने साफ साफ कहा है कि महालोक के निर्माण में किसी तरह का भ्रष्टाचार नही हुआ है। महालोक में फाइबर की मूर्तियां लगाए जाने को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा कि आजकल दुनियां भर में फाइबर की मूर्तियां ही लग रही हैं। सरकार ने दिल्ली में भी फाइबर की मूर्तियां लगवाई हैं।अपनी सरकार और उज्जैन जिला प्रशासन को क्लीन चिट देते हुए उन्होंने 15 महीने की कांग्रेस सरकार को भी ईमानदारी का तमगा दे दिया था।उधर दिल्ली के सूत्रों का कहना है कि अभी जो नया संसद भवन बना है उसके परिसर में गज ,अश्व और शार्दुल आदि की जो मूर्तियां लगी हैं वे सभी पत्थर की हैं।समुद्र मंथन का जो दृश्य दिखाया गया है वह पूरा तांबे का बना हुआ है।
मंत्री ने बताया था कि सिर्फ 6 मूर्तियां ध्वस्त हुई हैं।उन्हें वह कंपनी दो महीने में बदल देगी जिसने महालोक में सभी मूर्तियां लगाई थी।
लेकिन महाकाल मंदिर परिसर से आ रही खबरें बता रही हैं कि शिवराज के मंत्री सच नही बोल रहे थे।जानकारी के मुताबिक सप्त ऋषि की 6 मूर्तियां तो धराशाई हुई ही थी,इनके अलावा करीब एक दर्जन मूर्तियां खंडित भी हुई हैं।ये मूर्तियां चटक गई हैं।कुछ अपनी जगह से उखड़ गई हैं।कुछ बदरंग हो गई हैं। खुद भगवान भोलेनाथ की मूर्ति में दरारें साफ दिखाई दे रही हैं।कार्तिकेय के छत्र में दरार आई है।मंत्री सिर्फ 6 मूर्तियों की बात कर रहे थे लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि महालोक में लगी ज्यादातर मूर्तियां खराब हो गई हैं।मात्र साढ़े सात महीने में ज्यादातर मूर्तियां बदरंग हो गई हैं।
शिवराज सरकार इस घटना की जांच कराने को तैयार नहीं है।न ही वह यह मान रही है कि इस मामले में कोई भ्रष्टाचार हुआ है।उसकी नजर में यह एक छोटी घटना है।एक आंधी की वजह से हुआ। आंधियां अक्सर ऐसा करती ही रहती हैं।
मजे की बात यह है कि महाकाल सामने आकर अपनी बात कह नही सकते और गिर चुके सप्त ऋषि बोलने से रहे।ठीक वैसे ही जैसे राज्य में बड़े पैमाने पर कट रहे जंगल के मामले में कोई पेड़ शिकायत करने थाने नही जा सकता और न ही जंगल का राजा शेर मीडिया को बुला कर कटता जंगल दिखा सकता है।ऐसे में महालोक में 4 का माल 40 में लगवाए जाने पर कौन बोले?विपक्ष की बात को सरकार अहमियत ही नही देती है।मीडिया की अब उसे परवाह नही है।
पर जो हुआ है और हो रहा है, वह बाकी सब लोगों को तो साफ दिख रहा है।यही वजह है कि खुद दिल्ली को अपनी तीसरी आंख खोलनी पड़ी है।
इस बीच शिवराज सिंह चौहान इस मामले से आगे बढ़ गए हैं।उन्होंने 31 मई को अपने चुनाव क्षेत्र बुधनी के सलकनपुर स्थित विजयासन देवी मंदिर में “देवी लोक” का शिलान्यास किया।यह मंदिर मुख्यमंत्री को बहुत प्रिय है।कुछ महीने पहले चढ़ावे की बड़ी चोरी को लेकर यह सुर्खियों में रहा था।अब करोड़ों की लागत से बनने वाला इसका देवी लोक चर्चा में है।
फिलहाल जिस बदनामी की वजह से केंद्र सरकार दुखी है,उसका असर मध्यप्रदेश सरकार पर दिखाई नही दे रहा है।इसीलिए तो कहते हैं कि अपना एमपी गज्जब है।
देखना यह है कि दिल्ली का तीसरा नेत्र क्या करता है।उसकी ज्वाला से कोई “भस्म” होगा या फिर सरकारी विभागों की तरह उसका “लिफाफा” बंद ही रहेगा।आगे महाकाल जाने!!
साभार: अरुण दीक्षित