शुभ कार्य करने के लिए गणपति की तरह से कुल देव या देवी की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से घर की सुरक्षा होती है। हमारे पूर्वज अपने कुल के देवी- देवताओं की पूजा करते थे ताकि कल्याण होता रहे। कुल देव या देवी आध्यात्मिक और पारलौकिक शक्ति से कुलों की रक्षा करते हैं। जिससे नकारात्मक शक्तियां समाप्‍त होती हैं।

क्या होता है पूजा न करने से

कुल देव या देवी की पूजा नहीं करने से धीरे-धीरे घर-परिवार से सुरक्षा चक्र हटता है, जिससे परिवार में दुर्घटनाएं, नकारात्मक ऊर्जा, वायव्य बाधाओं का प्रवेश होता है। उन्नति रुक जाती है। संस्कारों का क्षय, नैतिक पतन, कलह, अशांति होती है। ग्रह-नशत्र का मेल अच्छा होते हुए भी परिवार का कल्याण नहीं होता।

कुल देव या देवी की पूजा अनिवार्य

घर में प्रवेश करने से रोकते हैं। यदि मान-सम्मान नहीं मिलता या पूजा नहीं की जाती तो यह अपनी सारी शक्तियों से घर को विहिन कर देते हैं। ऐसे में आप किसी भी ईष्ट की आराधना करें, वह उन तक नहीं पहुंचती। बाहरी बाधाएं, अभिचार, नकारात्मक ऊर्जा बिना बाधा घर में प्रवेश करती हैं।

हर वर्ष होती है इनकी पूजा

कुल देव या देवी की पूजा वर्ष में एक अथवा दो बार की जाती है। हर परिवार का अपना समय निर्धारित होता है। साथ ही मंगल कार्यों में कुल देव या देवी को जरूर याद कर उनकी पूजा- उपासना करें।

कुल देव या देवी की पूजा उपासना नहीं करने से जन्म कुंडली में भी दोष उत्पन्न होते हैं और अच्छे ग्रह नक्षत्र भी प्रतिकूल परिणाम देते हैं। अतः ग्रह- नक्षत्र की अनुकूलता के लिए कुल देव या देवी की पूजा जरूर करें।

इनके आशीर्वादके बिना परमात्मा भी प्रसन्न नहीं होते

प्रत्येक कार्य एवं पूजा उपासना से पहले गुरु, माता- पिता व अपने कुल देव या देवी की पूजा उपासना करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। क्योंकि इनके आशीर्वाद के बिना परमात्मा भी प्रसन्न नहीं होते।

 

डिसक्लेमर

 

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