*भारत मे मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है, जहां विधान सभा चुनाव न तो जाति, धर्म और सम्प्रदाय के वोटों के ध्रुवीकरण के हिसाब से होते हैं! और न ही शिक्षा, रोजगार, उद्योग, कृषि, व्यापार, भ्रष्टाचार और ग्रामीण विकास के मुद्दो पर!?*
*मध्यप्रदेश मे विधायक बनने के लिए उम्मीदवार को न तो ज्यादा पढ़ा लिखा होने की जरूरत है! और न ही उच्च कोटि की भाषण शैली की जरूरत है! भाषण शैली तो छोड़ो बोलते ही न आता हो तो ज्यादा बेहतर है! और न ही ईमानदार, साहसी, बुद्धिमान और अपनी विधानसभा को बेहतर बनाने के लिए कोई योजना की!*
*मुख्य योग्यता है कि आपके पास थोड़ा बाहुबल लेकिन पैसा अथाह होना चाहिए! और बड़े भव्य पैमाने पर कथा, भजन, भोजन और भंडारे कराने का जिगरा होना चाहिए! ये आप से कोई नहीं पूछेगा की ये पैसा हराम का है! या काली कमाई का!*
*राजनीतिक पार्टियों को किसी नए चेहरों की भी जरूरत नहीं है! दोनों मुख्य पार्टियों के पास अपनी अपनी विधानसभाओ मे दशकों से घिसे, पिटे, इस्तेमाल किए हुए परंपरागत जागीरदारी के कद्दावर मौजूद हैं! इसके अलावा पिछले और अगले 30 – 40 सालो के लिए उम्मीदवार उनके पास रखे हुए हैं!*
*मध्यप्रदेश के युवाओ को रोजगार और व्यवसाय की कोई जरूरत क्यों होनी चाहिए जब उनको आवास प्रधानमंत्री से मिल रहा है! कन्या दान सरकार करवा रही है! बेटियों को जन्म से लेकर शादी तक का खर्च सरकार उठा रही है! 5 लाख तक का ईलाज फ्री है! बुजुर्ग माता पिता को तीर्थ सरकार करा रही है वो भी अब हवाई जहाज से!*
*अब और क्या चाहिए!?*
साभार प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्ज इंदौर*