इंदौर,  क्यों न पेड़ों को जीवित प्राणी घोषित कर दिया जाए ताकि उनके अधिकार संरक्षित किए जा सकें। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने यह सवाल राज्य सरकार, केंद्र सरकार, स्थानीय नगर निगम और इंदौर विकास प्राधिकरण से पूछा है। पक्षकारों को दो सप्ताह में जवाब देना है। कोर्ट ने नोटिस उस जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए जारी किया है जिसमें फ्लायओवर के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई का मुद्दा उठाया है।

याचिका डा. अमन शर्मा ने पूर्व उपमहाधिवक्ता अभिनव धनोतकर के माध्यम से दायर की है। इसमें कहा है कि प्रसिद्ध विज्ञानी जेसी बोस ने वर्ष 1928 में लिखी पुस्तक में कहा है- पेड़ का एक तंत्रिका तंत्र होता है। पेड़ भी सामान्य प्राणियों की तरह सोच सकता है, समझ सकता है। उसे अहसास भी होता है। वह उन सारी चीजों को कर सकता है जो एक जीवित प्राणी करता है। पेड़ जीवित प्राणी की परिभाषा को पूरा करता है। उसका विकास होता है। वह उत्पादन कर सकता है। उससे फल निकलते हैं। पेड़ों को जीवित प्राणी घोषित कर दिया जाए तो उनके अधिकारों का संरक्षण किया जा सकेगा।

मप्र में पेड़ों के संरक्षण के लिए ही वृक्षों का संरक्षण अधिनियम 2021 बनाया गया था लेकिन इसमें कई खामियां हैं। इसमें वृक्ष संरक्षण अधिकारी का पद है। यह पद वर्तमान में निगमायुक्त के पास है। निगमायुक्त ही वृक्ष संरक्षण अधिकारी हैं और उन्हें ही पेड़ काटने की अनुमति देना है। ऐसे में पेड़ों के अधिकारों का संरक्षण कैसे होगा। अधिनियम में कहा है कि मृत पेड़ों को काटने के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। यानी सरकार भी मान रही है कि पेड़ एक जीवित प्राणी है। याचिका में पेड़ों के संरक्षण के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करने की भी मांग है।

फ्लायओवर के नाम पर काटे जा रहे सैंकड़ों पेड़

याचिका में कहा है कि पेड़ जीवित प्राणी घोषित नहीं होने की वजह से उनकी अंधाधुंध कटाई हो रही है। इंदौर में ही फ्लायओवर के नाम पर दो हजार पेड़ काट दिए गए हैं। पेड को जीवित प्राणी घोषित कर दिया जाए तो उसके अधिकारों का संरक्षण हो सकेगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्क सुनने के बाद सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।