आखिर में कलेक्टर विकास मिश्रा ने प्रेग्नेंसी टेस्ट की बात स्वीकारते हुए कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में विवाह के पहले सिकलसेल एनीमिया की जांच कराने के निर्देश हैं, ताकि आने वाली संतान पर इसका असर न पड़े। यही जांच कराई जा रही थी, तब चार युवतियों ने पीरियड मिस होने की बात कही। यूरिन की जांच कराने पर वे गर्भवती पाई गईं, इसलिए उन्हें अपात्र कर दिया गया। उधर, स्वास्थ्य मंत्री डा़ प्रभुराम चौधरी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
सामूहिक विवाह कार्यक्रम में डिंडौरी, बजाग, समनापुर और करंजिया विकासखंड के 219 युवक-युवतियों का विवाह हुआ है। फेरों से पहले पंजीयन कराने वालों का सत्यापन कराया जा रहा था। उसके साथ ही विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डा़ एमएस धुर्वे की टीम सिकलसेल एनीमिया की जांच कर रही थी।
तब बजाग और करंजिया विकासखंड के गांवों की चार युवतियों ने पीरियड मिस होने की बात कही थी। मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा़ रमेश सिंह मरावी गोलमोल जवाब दे रहे हैं। वे यह तो कह रहे हैं कि जांच के आदेश ऊपर से थे। ज्यादा पूछताछ करने पर फोन काट दिया।
विधायक ने 200 का टेस्ट बताया, पर पुष्टि नहीं कर पाए
विधायक ओमकार मरकाम ने 200 युवतियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट किए जाने का आरोप लगाया। इसे लेकर ट्वीट भी किया, पर यह पुष्टि नहीं कर पाए कि कितनी युवतियों का टेस्ट कराया गया है। ज्यादा पूछने पर वे कहते हैं कि यह प्रशासन का काम है, वह जांच करे और बताए
कमल नाथ ने किया ट्वीट
उधर, कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने ट्वीट कर कहा है मुख्यमंत्री स्थिति स्पष्ट करें और मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच कराएं। उन्होंने कहा कि यह समस्त स्त्री जाति के प्रति दुर्भावनापूर्ण दृष्टिकोण का मामला है।