जहां हाथ मिलाने, खांसने-छींकने, पास बैठने या फिर साथ खाना खाने से लोग संक्रमित हो जाते हैं, वहां कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें जल्दी से कोरोना संक्रमित होने की संभावना कम होती है. डॉक्टरों की राय में ऐसा blood group ke वजह से होता है. फ्रांस की एक रिसर्च टीम ने इस दिशा में शोध कर कुछ पुख्ता तथ्य रखने का प्रयास किया है. आखिर ऐसा क्यों होता है.
गौरतलब है कि कोरोना से बचाव को लेकर ज्यादा वजन वालों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं, मधुमेह तथा दिल से मरीजों और उम्र दराज लोगों को विशेष तौर पर सावधान किया जाता है. लेकिन हाल के डॉक्टरों के दल के अध्ययन के मुताबिक ‘O’ ब्लड ग्रुप पर दूसरों के मुकाबले कम जोखिम होता है. यानी ब्लड ग्रुप तय करता है कि किसे जल्दी कोरोना हो सकता है और किसे नहीं.
‘O’ ब्लड ग्रुप वाले क्यों होते हैं सेफ
फ्रांस की रिसर्च टीम की स्टडी में बताया गया है कि अलग-अलग ब्लड ग्रुप की ब्लड सेल्स में अलग-अलग एंटीजन (antigen) होते हैं. केवल ‘O’ ग्रुप की ब्लड सेल्स में ही कोई एंटीजन नहीं होता. और यही वजह है कि ‘O’ ग्रुप वाले किसी भी ब्लड ग्रुप वाले को रक्तदान कर सकते हैं लेकिन उनका ब्लड ले नहीं सकते. एंटीजन नहीं होने के चलते ‘O’ ब्लड ग्रुप वालों पर बाहरी संक्रमण का जल्दी से कोई असर नहीं होता. लेकिन अगर वो संक्रमित हो गए तो दूसरे को भी चपेट में ले सकते हैें.
फ्रांसीसी चिकित्सा अनुसंधान निकाय ‘इंसर्म’ (Inserm) के अनुसंधान निदेशक जैक्स ले पेंडु के मुताबिक ‘O’ ब्लड ग्रुप वालों में ‘थक्के’ (Clots) विकसित होने का जोखिम कम होता है. जबकि यह थक्का ही COVID संक्रमण के लिए बेहद गंभीर होता है.
कई देशों में किया गया रिसर्च
मेडिकल जर्नल नेचर (Nature) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क में इस सवाल को लेकर 14,000 लोगों का परीक्षण किया गया था. उनसे पूछताछ की गई और पाया गया कि ‘O’ ब्लड ग्रुप वाले दूसरे ब्लड ग्रुप के मुकाबले कोरोना संक्रमण के दौर में अधिक सुरक्षित थे.
‘नेचर’ के अलावा ब्लड एडवांस (Blood Advance) जर्नल में भी 473,000 लोगों के सर्वेक्षण के आधार पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी, जिसमें भी परिणाम कुछ ऐसा ही पाया गया था. इस रिपोर्ट के मुताबिक भी ‘O’ ब्लड ग्रुप वालों में दूसरे ग्रुप वालों से कहीं ज्यादा इम्यून पॉवर थे.
किस ब्लड ग्रुप वाले में होता है ज्यादा खतरा
वहीं ‘ब्लड एडवांस’ में प्रकाशित एक और रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के पिक टाइम के दौरान जब कनाडा में करीब 100 लोगों के डेटा का मूल्यांकन किया गया तो पता चला कि उनमें 90 फीसदी कोविड मरीज ब्लड ग्रुप ‘A’ वाले थे. जबकि ‘O’ और ‘B’ ब्लड ग्रुप वाले 61 फीसदी मरीज थे.
जिसके बाद शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि टाइप ‘A’ ब्लड ग्रुप में अन्य ब्लड ग्रुप की तुलना में COVID 19 का जोखिम अधिक होता है. लेकिन डॉक्टर्स की राय में चाहे आप कोई भी ब्लड ग्रुप वाले हों, कोरोना से सावधानी हर किसी को एक समान रखनी चाहिए.