चूंकि, बिल्डर अपनी प्रॉपर्टी को निर्माण से पहले बेचना चाहता है, लिहाजा ग्राहक को यह दिखाने के लिए कि उसका फ्लैट बनने के बाद कितना शानदार होगा, सैंपल फ्लैट दिखाता है.
आपको पहले ही बता चुके हैं कि सैंपल फ्लैट मार्केटिंग टूल है. लिहाजा ऐसे फ्लैट में ग्राहक को ज्यादा से ज्यादा जगह दिखाने की कोशिश की जाती है. कुछ बिल्डर तो सैंपल फ्लैट में दरवाजे तक नहीं रखते, ताकि आपको कमरा बड़ा और खाली नजर आए. इसमें रखी चीजों को ऐसे फिट किया जाता है, तो काफी कम जगह घेरें और कमरा बड़ा दिखे.
चूंकि, बेची जाने वाली बिल्डिंग का निर्माण उस समय चल रहा होता है जबकि ग्राहक इसे खरीदने आते हैं. लिहाजा उन्हें सैंपल फ्लैट दिखाकर बिल्डर असली के भी उसी तरह होने का दावा करता है. यहीं पर ग्राहक झांसे में आ जाते हैं. बिल्डर उन्हें सैंपल फ्लैट का एरिया दिखाकर एक्चुअल फ्लैट की खूबी बताते हैं और मनचाहा पैसा वसूल लेते हैं.
अगर आप पहली बार सैंपल फ्लैट देखने जा रहे तो ध्यान रखें कि अमूमन किसी फ्लैट का जो भी सुपर एरिया या टोटल साइज बताया गया है, सैंपल फ्लैट उसका 70 से 80 फीसदी ही होगा. इसे कार्पेट एरिया के रूप में डिफाइन किया जाता है. इसका मतलब है कि आपको तैयार होने के बाद मिलने वाला फ्लैट इस सैंपल फ्लैट से बड़ा होगा.
सैंपल फ्लैट बनाया तो ग्राहक के हितों को ध्यान में रखते हुए जाता है, लेकिन कुछ बिल्डर इसका गलत फायदा उठाते हैं. वे सैंपल फ्लैट में तो क्वालिटी प्रोडक्ट लगाते हैं, जबकि फाइनल प्रोडक्ट में पैसा बचाने के चक्कर में घटिया सामान का इस्तेमाल करते हैं.
अगली बार जब आप सैंपल फ्लैट देखने जाएं तो उसकी तस्वीरें खींच लें और सभी सामान, असेसरीज की क्वालिटी को चेक कर लें. उसकी तस्वीरें भी रख लें. जब आपको फ्लैट तैयार होकर मिले तो उसे सैंपल फ्लैट से मिलान करें और कोई कमी होने पर बिल्डर से बात करें.