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क्या बिहार में नीतीश-तेजस्वी के लिए खतरा बन रहे हैं ‘PK’, MLC चुनाव नतीजे कर रहे हैं इशारा

क्या बिहार में नीतीश-तेजस्वी के लिए खतरा बन रहे हैं ‘PK’, MLC चुनाव नतीजे कर रहे हैं इशारा

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

भारत की राजनीति में बिहार तरह तरह के प्रयोगों के लिए जाना जाता रहा है। राजनीतिक बदलावों का बिहार साक्षी है, जय प्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति हो या सामाजिक न्याय का जमीन पर उतरना हो या एक ऐसे शख्स का सत्ता में बने रहना हो जिसने सुविधा के हिसाब से अपने विचार बदले हों।

आज के परिप्रेक्ष्य में बिहार की राजनीति में नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी तो दूसरी तरफ बीजेपी के तौर पर विपक्ष के साथ प्रशांत किशोर (prashant kishor jan suraj yatra)की जन सुराज यात्रा है। हाल ही में बिहार में एमएलसी (bihar mlc election) की पांच सीटों के लिए चुनाव कराए गए थे। इन पांच सीटों पर आये नतीजों पर एक सीट का नतीजा चौंकाने वाला है। सारण में प्रशांत किशोर समर्थित उम्मीदवार अफाक अहमद को जीत हासिल हुई है। इन्होंने महागठबंधन उम्मीदवार आनंद पुष्कर को हरा दिया।

अभी कहां है जन सुराज यात्रा

प्रशांत किशोर ने पिछले साल ऐलान किया था कि 2 अक्टूबर 2002 से वो पश्चिमी चंपारण ते भितिहरवा से पूरे बिहार को जन सुराज यात्रा(Jan Suraj Yatra) के जरिए जागरुक करेंगे इस समय उनकी यात्रा पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सीवान होते हुए सारण जिले में हैं। जिस एमएलसी उम्मीदवार अफाक अहमद की हुई है उनका भी नाता सारण शिक्षक निर्वाचन सीट से है। यह जिला आमतौर पर महागठबंधन का गढ़ माना जाता रहा है और इस चुनाव में बीजेपी से इतर किसी गैर राजनीतिक दल समर्थित उम्मीदवार की जीत को बड़ी घटना के तौर पर देखा जा रहा है।

क्या कहते हैं जानकार

बिहार एमएलसी चुनाव नतीजों की व्याख्या जानकार अपने अपने अंदाज से कर रहे हैं। कुछ लोगों के मुताबिक अगर आप पीके की कामयाबी को देखें तो बिहार, बंगाल के नतीजे इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त है कि उनकी सानी नहीं है। खासतौर से अगर आप पश्चिम बंगाल के नतीजों पर नजर डालें तो उन्होंनवे कहा था कि बीजेपी डबल डिजिट में ही सिमट जाएगा और नतीजों ने उनके दावे पर मुहर लगा दी। बुनियादी तौर अगर बिहार को देखें तो जमीनी स्तर की राजनीति बंगाल जैसी है। एमएलसी के नतीजों में बेशक उनके द्वारा समर्थित उम्मीदवार को एक सीट पर जीत हासिल हुई हो। लेकिन जन सुराज यात्रा के जरिए जब वो लोगों से अपील करते हैं कि लालू जी ने को अपने परिवार के लिए सोचा। लेकिन आप लोग खुद के बारे में विचार करें। आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी हमारे यहां बुनियादी सुविधाओं की कमी है जिसके लिए लड़ने की जरूरत है। उनकी अपील का असर भी दिखाई दे रहा है। 2024 या 2025 के विधानसभा चुनाव में पीके को कितना फायदा होगा वो अलग मुद्दा है। लेकिन उनकी इस छोटी सफलका के मायने बहुत बड़े हैं।

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