दिग्विजय सिंह के गढ में भाजपा की बड़ी सेंध, मोना सुस्तानी भाजपा में शामिल

 

*दिग्विजय सिंह के गढ़ राजगढ़ में भाजपा की बड़ी सेंध*
*कांग्रेस की लोकसभा प्रत्याशी रहीं मोना सुस्तानी ने भाजपा का दामन थामा*
*इसके पहले राजा का प्रताप मंडलोई भी भाजपा के हो गए थे*
भोपाल: मध्यप्रदेश में अब चुनावी साल है। इस दौरान दोनों प्रमुख दल भाजपा एवं कांग्रेस में शहर और मात का खेल शुरू हो चुका है। रविवार को भाजपा ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। राजगढ़ के पूर्व विधायक श्री गुलाब सिंह सुस्तानी की बहू मोना सुस्तानी ने अपनी के दशक पुरानी पार्टी आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में छोड़ दी है। इस से मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और दिग्विनाय सिंह को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री मोना सुस्तानी ने यह कहते हुए पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है कि उन्हें काम करने का मौका नहीं मिल रहा था। मोना सुस्तानी आज भोपाल में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में बीजेपी में शामिल हो गईं।
ज्ञात हो कि मोना सुस्तानी पूर्व विधायक गुलाब सिंह सुस्तानी की बहू हैं। श्री सुस्तानी जिला कांग्रेस के अध्यक्ष, एमपी एग्रो के चेयरमैन के साथ दो बार राजगढ़ विधायक भी रह चुके हैं। मोना सुस्तानी कांग्रेस में कई पदों पर रहने के साथ ही साल 2019 में राजगढ़ संसदीय सीट से सांसद प्रत्याशी भी रही है।
*कौन है मोना सुस्तानी:* राजगढ़ जिले में मोना सुस्तानी को धाकड़, दबंग, कर्मठ और सक्रिय कांग्रेस नेत्री के रूप में जाना जाता रहा है। राजगढ़ व उसके आसपास के क्षेत्रों में बाल विवाह और नातरा कुप्रथा को लेकर बड़े स्तर पर अवेयरनेस अभियान चलाने के लिए भी मोना सुस्तानी काफी चर्चित रही हैं। उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी मोना सुस्तानी को विधानसभा चुनाव से पहले संगठन या सत्ता में बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।
सुस्तानी परिवार प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का बेहद करीबी रहा है। इसी प्रकार पूर्व विधायक प्रताप सिंह मंडलोई भी दिग्विजय सिंह के काफ़ी करीबी थे जो पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
इन दिनों धाकड़ कांग्रेस नेताओं को भाजपा में लाने की पटकथा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्देशन में लिखी गई है। इस तरह की चर्चाएं भी राजगढ़ में चल रही हैं। प्रताप मंडलोई के बाद अब मोना सुस्तानी का भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस को करारा झटका जरूर लगा है। वहीं अब जिले के पुराने भाजपाईयों में भी कसमसाहट देखी जा रही है। इस में कोई संदेह नहीं है कि पूरे इलाके में अब ज्योतिरादित्य सिंधिया का गुट अधिक सशक्त हो गया है। इस कारण भाजपा संगठन और पुराने नेताओं में बैचेनी होना स्वाभाविक है। इसके चलते आने वाले दिनों में अन्य कई दिग्गज अगर पाला बदलते नजर आएं तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

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